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विचारधारा के भंवर में - एम के वेणु

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली आर्थिक सुधार के अर्थों को पुनर्परिभाषित करने की कोशिश कर रहे हैं। सीआईआई और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सालाना बैठक में भारतीय और वैश्विक कंपनियों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए अरुण जेटली ने सलाह दी कि भारत जटिल सामाजिक-आर्थिक संरचना वाला एक विकासशील समाज है, इसलिए उद्यमी समुदाय को 'बिग-बैंग' सुधारों और कुछ सनसनीखेज विचारों के क्रियान्वयन की उम्मीद नहीं करनी...

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प्रतीकों की राजनीति- प्रमोद मीणा

जनसत्ता 4 अक्तूबर, 2014: गांधीजी के जन्मदिन दो अक्तूबर से देश भर में स्वच्छ भारत अभियान का आगाज करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रतीकों की राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं। सरदार पटेल और कृष्ण का सफल प्रतीकात्मक चुनावी दोहन करने के बाद उनकी नजरें अब गांधी और झाड़ू को एक साथ साधने पर हैं। गांधी के नाम को हर चुनाव में भुनाती आई कांग्रेस दो अक्तूबर को एक रस्मी समारोह...

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‘हिंदी प्रदेश’ की पहचान के मायने- शैबाल गुप्ता

शैबाल गुप्ता जाने-माने अर्थशास्त्री और एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) के सदस्य सचिव हैं. पिछले दिनों इलाहाबाद स्थित गोविंद बल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट ने उन्हें 29वें ‘गोविंद बल्लभ पंत मेमोरियल लेक्चर' में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था. इस अवसर पर बोलने के लिए उन्होंने जो विषय चुना, उसका शीर्षक था- ‘आइडिया ऑफ द हिंदी हार्टलैंड'. हिंदी में इसे ‘हिंदी प्रदेश की धारणा' कहा जा सकता है. इस...

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बेलगाम महंगाई के पोषक- विकास नारायण राय

जनसत्ता 22 अगस्त, 2014 : वित्तमंत्री अरुण जेटली के अनुसार आम लोगों के लिए बवालेजान बनी महंगाई का सीधा संबंध बाजार में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति से है। भारतीय शासकों का यह जाना-माना तर्क रहा है, जो जनता को बरगलाने वाले अगले पाखंड की जमीन भी तैयार करता है। शासकों का अगला तर्क होता है कि आम लोगों की जरूरत की चीजों की आपूर्ति जमाखोरों ने रोक रखी है और...

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गरीबी और प्रधानमंत्री मोदी- विकास नारायण राय

जनसत्ता 30 मई, 2014 : भाजपा संसदीय दल का नेता चुने जाने की औपचारिकता के बाद मोदी ने संसद के केंद्रीय हाल से संबोधन में अपनी सरकार को गरीबों, युवाओं और स्त्रियों को समर्पित करार दिया। कॉरपोरेट जगत और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चहेते ‘चायवाले’ के लिए इस दिखावे को अधिक दिनों तक निभाना टेढ़ी खीर ही होगी। गरीबों को लेकर मोदी का नवउदारवादी ट्रैक रिकार्ड सर्वाधिक संदेहास्पद रहा है।...

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