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बीच बहस में न्यूनतम मजदूरी

हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...

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बढ़ रहा है जनता में जनाक्रोश

नई दिल्ली [उमेश चतुर्वेदी]। महंगाई की आग के खिलाफ पाच जुलाई के भारत बंद पर कारपोरेट तरीके से मूल्याकन के जरिए भले ही लाख सवाल उठाए जा रहे हों, लेकिन यह सच है कि इस बंद ने महंगाई की आग से झुलस रहे अधिसंख्य भारतीयों के गुस्से और क्षोभ को ही अभिव्यक्ति दी है। इस क्षोभ और गुस्से का महत्व इसलिए कम नहीं हो जाता कि इससे तेरह हजार या बीस...

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हमारा बीपीएल और उनका आईपीएल- देविंदर शर्मा

2009 में जब विश्व आर्थिक मंदी की आग में जल रहा था और इसकी तपिश भारत में भी महसूस की जा रही थी, तब भारत ने तीन किस्तों में करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया था. हम सरकारी अनुदान हड़पने में किसानों और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को दोषी ठहराते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि उद्योग और व्यवसाय जगत इनसे कई...

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महंगाई के खिलाफ खोखली पहल

नई दिल्ली [घनेंद्र सिंह सरोहा]। आईपीएल, सानिया की शादी और मोदी-थरूर विवाद के बीच बीते दिनों एक खबर महंगाई पर भी आई थी। अक्सर विपक्ष कहता है कि मीडिया हमेशा बुनियादी मुद्दों को छोड़ ग्लैमरस चीजों के पीछे भागता है। तो मंहगाई पर कटौती प्रस्ताव लाने वाला विपक्ष संसद में शशि थरूर और उनकी महिला मित्र सुनंदा के बीच कौन-सा बुनियादी मुद्दा ढूंढ़ रहा है। यहा विपक्ष या मीडिया की गलतिया ढूंढ़ने का इरादा...

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धरती कहे पुकार के

ढ़ती हुई कीमतें उस आपदा का सिर्फ एक संकेत हैं, जिससे खेती जूझ रही है. दरअसल भारतीय कृषि क्षेत्र बुरी तरह से चरमरा रहा है. संकट से पार पाने के लिए नजरिए में बड़े बदलावों की जरूरत है. लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार आपदा की इस आहट को सुनने के लिए तैयार नहीं. अजित साही और राना अय्यूब की रिपोर्ट सरकारी नीतियों से लेकर अखबार की सुर्खियों तक तरजीह पाने वाली...

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