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मंशा नेक पर अभी तो मुमकिन नहीं - सुषमा रामचंद्रन

चार्ल्स डिकेंस के उपन्यास 'अ टेल ऑफ टू सिटीज" की मशहूर पंक्तियां हैं : 'वह सबसे बेहतरीन दौर था, लेकिन वह सबसे बदतर भी था।" दिल्ली सरकार के सम-विषम फॉर्मूले के परिप्रेक्ष्य में हम डिकेंस के इस संवाद को बदलकर यूं भी कर सकते हैं कि 'वह एक बेहतरीन विचार था, लेकिन वह बदतर भी था!" हां, यह जरूर है कि दिल्ली सरकार के इस निर्णय के बाद इस महानगर...

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रोशन दिवाली उदास दिया- आर के सिन्हा

एक बार नोबेल पुरस्कार विजेता वीएस नायपाल बता रहे थे कि वे भारत में पहली बार 1961 में दिवाली की रात मुंबई पहुंचे। हवाई अड्डे से होटल के रास्ते में उन्हें यह देख कर निराशा हुई कि यहां ज्यादातर घरों के बाहर मोमबत्तियां सजी थीं। उनके देश त्रिनिदाद एवं टुबैगो में दिवाली पर अब भी मिट्टी के दीए जलाने की रिवाज है। नायपाल ठीक ही कह रहे थे। मोमबत्ती जला...

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कोरवा की दर्द की हकीकत, भुखमरी में गिरवी रखा राशन कार्ड

रायपुर/जशपुरनगर. भूख से तड़प कर पहाड़ी कोरवा लम्बू राम (60) की हुई मौत के मामले में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। मृतक की मां विजनी बाई ने प्रशासन के समक्ष बदहाली की दास्तां सुनाते हुए खुलासा किया� कि हमने लम्बू के पिता झामक� के इलाज के लिए 2014 में एक हजार रुपए में चढ़भईया के एक सूदखोर के पास� राशन कार्ड गिरवी रख दिया था। तब हमारे�...

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ऐसे लौटा सकते हैं हिमालय का वैभव- डा अनिल जोशी

भारत दुनिया के गिने-चुने देशों में से एक है, जिसे प्राकृतिक संसाधनों का असली वरदान प्राप्त है। हिमालय से लेकर समुद्र तक और मरुस्थल से लेकर दलदली क्षेत्र तक यह देश विशिष्ट परिस्थितियों का धनी है। इन सभी में हिमालय को सबसे ऊंचा स्थान मात्र इसकी ऊंचाई के लिए नहीं बल्कि इसकी राष्ट्रसेवा के लिए प्राप्त है। हिमालय देश के नौ राज्यों और कुल भूमि के 17 प्रतिशत क्षेत्र में...

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सवर्ण का नुकसान भरने के लिए खोल लो आदिवासी की भैंसें : पंचायत

मुरैना(ब्यूरो)। सामाजिक पंचायतें आज भी बेढब फैसले सुना रही हैं। ऐसा ही एक मामला मुरैना के नगरा थाना क्षेत्र के मानधाता पुरा गांव में सामने आया है। यहां पर पंचायत ने गांव के सवर्ण परिवार के जेवरों की चोरी की भरपाई के लिए गांव के ही आदिवासी परिवार की चार भैंस खोलने का फैसला सुना दिया। पंचायत में चोरी का आरोप आदिवासी परिवार की महिलाओं पर लगाया गया। जबकि इसका कोई...

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