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डिजिटल कवरेज से डरे बीजेपी मंत्रियों द्वारा आलोचना करने वाले पत्रकारों को ट्रैक करने और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अंकुश का प्रस्ताव

-द कारवां, डिजिटल न्यूज और सोशल मीडिया को नियंत्रण करने के लिए सरकार द्वारा हाल में उठाए गए कदम के पीछे वह रोडमैप है जो कोविड महामारी की चरम अवस्था में सरकार द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में बताया गया था. इस रिपोर्ट को जिस मंत्रियों के समूह या जीओएम ने तैयार किया था उसमें पांच कैबिनेट स्तरीय और चार राज्यमंत्री थे. उस रिपोर्ट में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास...

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पर्यावरण रक्षक खेती है बारहनाजा - बाबा मायाराम

इन दिनों दिल्ली में किसान आंदोलन चल रहा है। खेती-किसानी की चर्चा चल रही है। इस समय तीन नए कृषि कानून व न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा खेती के व्यापक पहलुओं पर भी बात करना भी जरूरी है। मिट्टी- पानी, जैव विविधता व पर्यावरण रक्षक खेती की चर्चा भी जरूरी है। इनमें से एक है उत्तराखंड की पारंपरिक कृषि पद्धति है, जो मिट्टी-पानी व जैव विविधता का संरक्षण करते हुए...

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निजीकरण के लिए बैंक ऑफ इंडिया जैसे चार बैंकों का चयन: रिपोर्ट

-द वायर, केंद्र सरकार ने मध्यम आकार के सरकार संचालित चार बैंकों का निजीकरण करने के लिए चयन किया है. तीन सरकारी सूत्रों ने इसकी जानकारी दी. सरकार का यह कदम उसकी उस बड़ी योजना का हिस्सा है जिसके तहत वह सरकारी संपत्तियों को बेचकर राजस्व बढ़ाने की तैयारी कर रही है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, सरकार की भारी-भरकम हिस्सेदारी वाले इन बैंकों में सैंकड़ों-हजारों कर्मचारी काम करते हैं और बैंकिंग सेक्टर...

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दिशा रवि की गिरफ़्तारी हम सबके मुंह पर इस सत्ता का बूट है…

-द वायर, दिशा रवि की गिरफ्तारी हम सबके मुंह पर इस सत्ता का बूट है. हमें बतलाया जा रहा है कि इस मुल्क में किसी की कोई कीमत नहीं, किसी का लिहाज नहीं, कोई हद नहीं जो यह सत्ता लांघने में हिचक महसूस करे. यह सत्ता अपने समर्थकों को रोज़ एक मांस का टुकड़ा फेंक रही है. उनके मुंह में खून जो लग गया है! आज वह दिशा रवि है, कल मुनव्वर फ़ारूकी था, कल कोई...

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बजट का सबसे महत्वपूर्ण भाग जिसके बारे में कोई चर्चा नहीं है

-न्यूजलॉन्ड्री, 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्र सरकार के वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करेंगी. तब तक आने वाले दिनों में मीडिया में ऐसे अनेक लेख होंगे जो वित्त मंत्री को बजट में क्या करना चाहिए, इस पर सलाह देते मिलेंगे. राजनेता, अर्थशास्त्री, विश्लेषक और पत्रकार सभी अपनी-अपनी समझ से महत्वपूर्ण कदम बताएंगे. इनमें से अनेक लेखों के साथ दिक्कत यह है कि लेखक बजट का मुख्य उद्देश्य भूलते...

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