मुझे आश्चर्य है कि भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल ने ऐसा राष्ट्र-विरोधी निर्णय कैसे कर लिया? जातीय जनगणना को कांग्रेस सरकार ने अधबीच में बंद कर दिया था, लेकिन इस गणना के जो भी अधकचरे आंकड़े इकट्ठे हुए हैं, सरकार उन्हें प्रकट करने के लिए तैयार हो गई है। वह इन्हें अगले साल तक प्रकाशित करेगी। तब तक राज्य-सरकारों की रपट भी उसके पास आ जाएगी और जो आंकड़े उसके पास...
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जातियों की गिनती जारी करेगी मोदी सरकार!
राजनीतिक विवादों के बीच केंद्र सरकार जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी करने को राजी हो गई है। मगर आंकड़े सार्वजनिक होने की समय सीमा को लेकर संशय अब भी बरकरार है। इस मामले पर सरकार ने स्पष्ट कहा है कि राज्यों से रिपोर्ट आने के बाद ही इसे एकत्रित कर सार्वजनिक किया जाएगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि उन्हें राज्यों से आने वाली रिपोर्ट का इंतजार है। केंद्र सरकार...
More »कितना काला है काला धन?- प्रीतीश नंदी
आखिरकार कोई तो बुद्धिमानी से बोला। अब तक तो हमने काले धन को लेकर हर किसी को आक्रोश व्यक्त करते हुए ही देखा, लेकिन किसी ने व्यावहारिक समाधान नहीं सुझाया। बोफोर्स घोटाले से इसकी शुरुआत हुई थी और उसके कारण राजीव सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। फिर तो हर किसी को यह समझ में आ गया कि काला धन राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी की प्रतिष्ठा को खत्म करने का एकदम...
More »सांसदों के वेतन-भत्ते का सवाल - ए. सूर्यप्रकाश
इन खबरों के बाद अपने सांसदों पर निगाह जाना स्वाभाविक है कि वे एक बार फिर अपनी वेतनवृद्धि हेतु आधार तैयार कर रहे हैं। इस तरह के प्रयास के लिए मीडिया में उनकी आलोचना हो रही है। सांसदों के वेतन-भत्ते में बढ़ोतरी की जब भी बात होती है तो इस तरह की बातें होने की कई वजहें होती हैं। इनमें से कुछ पर नजर डालना जरूरी है। इस तरह वेतन-भत्ते...
More »कहां है सुधारों की अगली खेप-- रामचंद्र गुहा
सन 2009 के आम चुनाव के ठीक बाद मैंने बेंगलुरु में एक भाषण सुना, जो नई सरकार के लिए नीतियों के नए रोडमैप पर था। वक्ता थे राकेश मोहन, जो उद्योग व वित्त मंत्रालय में वरिष्ठ पदों पर रह चुके थे और उस वक्त रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर थे। राकेश मोहन का कहना था कि आर्थिक सुधारों की पहली लहर ने व्यापार को सरकारी नियंत्रण से बाहर निकाला और...
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