पूर्वोत्तर भारत ऐसा हिस्सा है, जहां भारत कम और दक्षिण-पूर्व एशिया अधिक दिखता है। यहां के ज्यादातर जातीय समूहों के पूर्वज चीन के युन्नान प्रांत और म्यांमार के कुछ हिस्सों से आए हैं। इस हिस्से पर अंग्रेजों के आगमन से पहले किसी भारतीय शासक ने, फिर चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान, राज नहीं किया है। अंग्रेज जब भारत से विदा हुए, तब यह क्षेत्र भारत का हिस्सा बना। भारत की राष्ट्र-निर्माण परियोजनाओं...
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जनहित याचिका के ऐतिहासिक नतीजे
हम अपने संविधान की चाहे जितनी आलोचना कर लें और इसे जितना बेकार कह लें, सच यह है कि अब तक इसने ही देश के नागरिकों को सम्मान से जीने का अधिकार दिया है और उस अधिकार के अतिक्रमण को दूर करने का रास्ता भी इसी ने दिया. इसका एक बड़ा उदाहरण है जनहित याचिका. यह जनता के संवैधानिक अधिकारों के इस्तेमाल और अदालत के कानूनी अधिकार से ही संभव हुआ...
More »संविधान में गांव की परिभाषा भी नहीं- आर के नीरद
भारत के संविधान में गांव की कोई परिभाषा नहीं है. जब गांव ही नहीं है, तो ग्राम गणराज्य भी नहीं है. यह बड़ा विरोधाभास है. महात्मा गांधी गांव गणराज्य की बात करते थे. वे आजादी का असली अर्थ गांवों की समरसता, आत्मनिर्भरता और लोकतंत्र में जन भागीदारी को मानते थे. देश आजाद हुआ और गणतंत्र भारत के लिए अपना संविधान बना, लेकिन इसमें गांव की परिकल्पना शामिल नहीं हो सकी. सब ने...
More »खाद्य सब्सिडी का अंकगणित - अमित तिवारी
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल का बड़ा अहम फैसला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में बड़ा फैसला करते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को पास कराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। कड़ी जद्दोजहद के बाद आखिरकार विधेयक पास भी हो गया। लेकिन इसी के साथ आर्थिक संकट से जूझ रहे राजकोष पर पडऩे वाले...
More »आवास-नीति मे बदलाव की जरुरत- नई रिपोर्ट
एक अरसे से आशंका जतायी जा रही है कि देश में सस्ती कीमत के आवास की मांग तेजी से बढ़ी है लेकिन इस जरुरत की पूर्ति के मामले में कुछ खास प्रगति नहीं हो पा रही। राष्ट्रीय आवास बैंक की एक नई रिपोर्ट के तथ्य और आंकड़े इस आशंका की पुष्टि करते हैं।(देखें नीचे दी गई लिंक पर पूरी रिपोर्ट) रिपोर्ट के अनुसार भारत के शहरी क्षेत्र में 1 करोड़ 80...
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