SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 5434

पूर्वोत्तर की भीतरी और बाहरी विडंबनाएं- रामचंद्र गुहा

विडंबना और शायद त्रासदी यह है कि हमारे देश के सबसे खूबसूरत हिस्से संघर्ष और हिंसा से सबसे ज्यादा ग्रस्त हैं। इसमें कश्मीर घाटी, मध्य भारत (विशेषकर बस्तर) के जंगल, और पूर्वोत्तर के राज्य शामिल हैं। मानवशास्त्री वेरियर एल्विन की धारा का अनुकरण करते हुए 1990 के दशक में मैंने पूर्वोत्तर का दौरा किया था। एल्विन इंग्लैंड में जन्मे और पढ़े-लिखे थे, युवा वय में भारत आए, तो फिर नहीं...

More »

आंध्र प्रदेश: 2014-19 के बीच 1,513 किसानों ने की आत्महत्या, सिर्फ 319 परिवारों को मुआवजा मिला

अमरावती: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने बुधवार को बताया कि राज्य में 2014 से 2019 के दौरान 1,513 किसानों ने आत्महत्या की, जबकि 391 परिवारों को ही अनुग्रह राशि (मुआवजा) दिया गया.   मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए राज्य मुख्यालयों से जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को संबोधित किया.   उन्होंने कहा, ‘राज्य में जिला अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े के अनुसार 2014-19 के दौरान 1,513 किसानों ने आत्महत्या...

More »

जन धन योजना के तहत खुले करीब साढ़े छह करोड़ खाते सक्रिय नहीं: केंद्र

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत बैंकों में अब तक 35.99 करोड़ खाते खोले गए जिनमें 29.54 करोड़ खाते सक्रिय हैं. वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना 28 अगस्त 2014 को प्रारंभ की गई थी. उन्होंने कहा कि बैंकों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 26...

More »

मैला ढोने का काम कराने वालों को सजा देने के संबंध में कोई रिपोर्ट नहीं: केंद्र

नई दिल्ली: केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा में स्वीकार किया कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि 1993 में और फिर 2013 में मैनुअल स्कैवेंजिंग (हाथ से मैला उठाना) को गैरकानूनी घोषित करने के बाद भी अभी ये प्रथा हमारे समाज में मौजूद है. खास बात ये है कि मंत्रालय ने बताया कि राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों से मैला ढोने वालों...

More »

ताकि मिले बढ़ती आबादी का फायदा- प्रो.सुरेश शर्मा

देश-दुनिया की तमाम सरकारों और नीति-निर्माताओं के लिए आज यह याद करने का दिन है कि जनसंख्या और उससे जुड़े मसलों का हल उनकी विकास-नीतियों के मूल में होना चाहिए। भारतीय संदर्भ में देखें, तो 1920 के दशक तक हमारे हिस्से में अत्यधिक जन्म-दर और मृत्यु-दर रही है, पर उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट देखी गई। जन्म-दर, मृत्यु-दर और जनसंख्या वृद्धि का परस्पर संबंध किसी देश की जनसंख्या का...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close