केंद्रीय बजट से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केंद्र की तरफ से राज्यों को दिए जाने वाले अनुदान में कटौती का आज संकेत दिया। उन्होंने कहा कि राज्यों को विकास और अन्य योजनाओं के लिए संसाधन सृजित कर खुद अपने सहारे खड़ा होना होगा। जेटली ने यहां एक जनसभा में कहा कि वे दिन अब बीत गए हैं जब केंद्र धन उपलब्ध कराता था और राज्य सरकारे शासन करती थीं।...
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बदलाव होता नजर भी तो आए - प्रदीप सिंह
नरेंद्र मोदी सरकार के छह महीने हो गए। सबकी नजर इस पर है कि सरकार ने क्या किया और जो किया, उसका नतीजा क्या निकला। कांग्रेस इस सरकार को यू-टर्न सरकार बता रही है। सरकार का दावा है कि उसने छह महीने में बहुत कुछ कर दिया है। यह सही है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से देश में एक बदलाव और उम्मीद का माहौल बना है,...
More »आबोहवा को बचाने की कवायद- कोरल डेवनपोर्ट
दो दशक से अधिक समय से वैश्विक संधि की अनवरत विफल कोशिशों के बाद एक बार फिर उम्मीदों के घोड़ों पर सवार संयुक्त राष्ट्र के वार्ताकार सोमवार से दक्षिण अमेरिका में जमा हुए हैं। उनकी कोशिश यही है कि इस बार बात बन जाए। हालांकि ग्रीन हाउस गैस के मौजूदा उत्सर्जन में कटौती करने संबंधी समझौते के बावजूद वैज्ञानिकों का आकलन है कि दुनिया की आबोहवा तेजी से खराब होती...
More »सवा अरब लोगों के लोकतंत्र में सवा करोड़ से ज्यादा 'गुलाम'!
बात विरोधाभासी लग सकती है लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाने वाले भारत में गुलामी की जिन्दगी जीने वाले लोगों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारत में गुलामी के आधुनिक रुपों से पीड़ित लोगों की संख्या 1 करोड़ 40 लाख 29 हजार है।(देखें नीचे दी गई लिंक) ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स 2014 नामक रिपोर्ट के अनुसार चीन में 30 लाख 24 हजार, पाकिस्तान में...
More »'तो गाँव की हर औरत लखपति होती..'
जॉर्ज मोनबाएट ने कहा है कि अगर धन कठिन परिश्रम और व्यवहार कुशलता का परिणाम होता तो अफ्रीका की प्रत्येक महिला लखपति होती. भारत की अर्थव्यवस्था में गांवों की अहम भूमिका है और गांवों की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका पुरुषों से ज़्यादा है. यानी ग्रामीण महिलाएं भारत की अर्थव्यवस्था की धुरी हैं, लेकिन उनकी मुश्किलों की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता. न ही समाज का और न ही सरकार का. उनकी...
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