जलवायु संकट की वजह से पिघलती बर्फ के कारण समुद्र का जल-स्तर इस सदी के अंत यानी वर्ष 2100 तक वैज्ञानिकों के पूर्वानुमान से दोगुने से भी ऊपर निकल जाएगा। यह चौंकाने वाली बात अमेरिका के कोलाराडो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज' में प्रकाशित शोध में कही है। वैज्ञानिकों ने वर्ष 2100 तक समुद्र का जल-स्तर तीस सेंटीमीटर बढ़ने का अनुमान लगाया था। लेकिन...
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सिर्फ नियमों से नहीं लगेगी लगाम-- नीलंजन राजाध्यक्ष
भारतीय बैंकिंग की एक बुनियादी समस्या है, अनुचित इन्सेंटिव यानी प्रोत्साहन राशि। नीरव मोदी मामले के खुलासे के बाद हम बेशक वर्षों से कर्ज बांटने की खराब परिपाटी के कारण बैंकों की साख पर बन आए संकट पर अपना ध्यान केंद्रित करें, पर इन्सेंटिव पर भी कहीं अधिक गौर करने की जरूरत है। इस इन्सेंटिव समस्या को अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी, शॉन कोल और एस्थेर डूफ्लो ने एक शोध पत्र में बखूबी...
More »ज्ञान की ये कैसी अंधी-महंगी दौड़! - गिरीश्वर मिश्र
भारत में शिक्षा को एक रामबाण औषधि के रूप में हर मर्ज की दवा मान लिया गया और उसके विस्तार की कोशिश शुरू हो गई बिना यह जाने-बूझे कि इसके अनियंत्रित विस्तार के क्या परिणाम होंगे? सामाजिक परिवर्तन की मुहिम शुरू हुई और भारतीय समाज की प्रकृति को देशज दृष्टि से देखे बिना हस्तक्षेप शुरू हो गए। दुर्भाग्य से ये हस्तक्षेप अंग्रेजी उपनिवेश के विस्तार ही साबित हुए हैं। स्मरणीय...
More »बैंक विनियामकों की विफलता-- आरके पटनायक
एक सामान्य भारतीय आज एक झूठी उम्मीद का शिकार बना बैठा है. एक तरफ अपनी कई आर्थिक मजबूतियों के बूते भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक चमकीला सितारा बनकर उभरता बताया जाता है. तो वहीं दूसरी ओर, देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), से जनता की गाढ़ी कमाई के 10,000 करोड़ रुपये की लूट उसे एक डरावने यथार्थ का भान भी करा देती है. ऐसे...
More »बेबस मरीज और लूट का इलाज--- अश्विनी शर्मा
एक समय था जब लूट सामंती व्यवस्था द्वारा होती थी और अपनी जान की सलामती के लिए ज्यादातर लोग विरोध नहीं कर पाते थे। वह सामंती व्यवस्था समाप्त हो चुकी है और आज भारत विश्व-पटल पर अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन आम आदमी के साथ लूट का सिलसिला आज भी जारी है। बस, इस लूट के तरीके बदल गए हैं। अब यह लूट बैंकों के...
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