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आज का योग किसकी देन-- सतीश पेडणेकर

वैश्वीकरण के इस युग में योग भी वैश्विक बन चुका है। करोड़ों लोग योग की साधना कर रहे हैं। महर्षि पतंजलि को अक्सर योग का जन्मदाता कहा जाता है। उन्हें योगसूत्र या योग दर्शन के रचयिता होने के कारण ऐसा कहना उचित भी है। मगर व्यावहारिक दृष्टि से देखें तो आज का योग पतंजलि का राजयोग नहीं, गोरखनाथ का हठयोग है जो मुख्यत: गोरख या नाथपंथी योगियों का योग है।...

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रोज बीस मिनट देकर पाएं संपूर्ण स्वास्थ्य-- सुनील सिंह

मुझे क्रिकेट खेलने के दौरान पीठ में चोट लग गई। डॉक्टर ने कहा कि अब शेष जीवन बिस्तर पर बिताना पड़ेगा। किसी ने योग करने की सलाह दी। मेरे दादाजी योगासन करते थे। उनसे मैंने सीखा और बिल्कुल ठीक हो गया। फिर 1985 में धीरेंद्र ब्रह्मचारीजी के आश्रम में योग सीखने गया। वहां 10 हजार युवक आए थे, जिनमें से 50 लोगों का चयन हुआ, उनमें मैं भी था। वहां...

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बढ़ती महंगाई की मुसीबत - संजय गुप्‍त

दालों के साथ-साथ टमाटर, आलू और अन्य खाद्य पदार्थों के दामों में वृद्धि ने मोदी सरकार की चिंता बढ़ा दी है। महंगाई आम जनता को प्रभावित करने वाली सबसे बड़ी समस्या होती है, लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि मोदी सरकार दाल और सब्जियों सरीखी आवश्यक वस्तुओं की कीमत में वृद्धि का सामना उन्हीं उपायों से करती नजर आ रही है, जो विगत में असफल साबित हो चुके हैं। बात चाहे...

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इंडिया एक्सक्लूजन रिपोर्ट--- 'वंचित भारत की एक तस्वीर'

क्या कभी आपने सोचा कि देश के शहरों में झुग्गी बस्तियां कितनी हैं, उनमें रहने वाले कौन हैं और झुग्गी-बस्तियों में इनका रहना जीना कैसा है ?अगर नहीं, तो नीचे लिखे तथ्यों पर गौर कीजिए!   देश में तकरीबन साढ़े तैंतीस हजार झुग्गी-बस्तियों होने के अनुमान हैं, महज एक दशक यानी 2001 से 2011 के बीच झुग्गी-बस्तियों में दलित आबादी में 31 फीसद का इजाफा हुआ है. कुछ राज्यों की झुग्गी-बस्तियों की...

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लोगों को हुनर सिखाकर बदल सकते हैं समाज-- दशरथ सूर्यवंशी

बरसों से जलसंकट से जूझ रहे महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल के उदगीर जिले के रावणकोल में पलते-बढ़ते समय एक अलग ही तरह का सामाजिक बदलाव मेरी नज़र में आया। जल-संकट के कारण उजड़ती खेती के साथ उजड़ते गांव। लोग आजीविका की तलाश में शहर चले जाते। परिवार बिखरते। ग्रामीण अर्थव्यवस्था, खेती और ग्रामीण व्यवस्था ही नहीं बदल रही है बल्कि सामाजिक मेल-जोल व एकजुटता खत्म हो रही है, क्योंकि घट...

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