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बीस साल में 10,000 अरब डॉलर की हो सकती है भारतीय अर्थव्यवस्था: रिपोर्ट

नयी दिल्ली: पीडब्ल्यूसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कारपोरेट क्षेत्र के सतत प्रयासों एवं सरकार की रचनात्मक भूमिका के बल पर भारत 9 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने की क्षमता रखता है और 2034 तक यह 10,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एक बड़े बदलाव के मुहाने पर है. यदि कारपोरेट क्षेत्र सतत प्रयास करे और सरकार एक जबरदस्त उद्यमशीलता...

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‘मेड बाय इंडियंस’ की हो पहल- डा. भरत झुनझुनवाला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर विदेशी निवेशकों का आह्वान किया था कि वे भारत में आकर माल का उत्पादन करें. इस आह्वान से मैं असमंजस में था. ऐसा लगा कि वे यूपीए3 सरकार के मुखिया के रूप में बोल रहे थे. अब भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव ने स्पष्ट किया है कि अर्थव्यवस्था से विदेशी निवेशकों को बाहर नहीं रखा जायेगा, परंतु मुख्य इंजन विदेशी निवेश नहीं...

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विदेश से ज्यादा देश में ही है काला धन- मोहन गुरुस्वामी

काला धन, दरअसल, हर वह आय है, जिस पर राज्य को किसी तरह का कर (टैक्स) नहीं दिया जाये. यह आय वैध तरीकों से हो सकती है या फिर अवैध तरीकों से, जैसे स्मगलिंग, भ्रष्टाचार और ड्रग्स के जरिये. सालाना कितना काला धन पैदा होता है, इसका आंकड़ा हर साल अलग-अलग होता है. हालांकि, एक बहुप्रसारित, पर कथित तौर पर गोपनीय अध्ययन (जो नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पब्लिक फायनांस एंड पॉलिसी...

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काले धन की मरीचिका में हम - विजय संघवी

हमारा देश एक मरीचिका का पीछा कर रहा है, जिसका नाम है विदेशों में जमा काला धन। अगर काले धन का शगूफा बार-बार छेड़ा जाता है तो उसका कारण यह है कि इससे राजनेताओं को दूसरे मामलों से देशवासियों का ध्यान भटकाने का मौका मिल जाता है, अफसरों को देश में मौजूद काली संपदा को नजरअंदाज करने की सुविधा मिल जाती है, न्यायपालिका को सरकार को फटकार लगाने का अवसर...

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विचारधारा के भंवर में - एम के वेणु

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली आर्थिक सुधार के अर्थों को पुनर्परिभाषित करने की कोशिश कर रहे हैं। सीआईआई और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सालाना बैठक में भारतीय और वैश्विक कंपनियों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए अरुण जेटली ने सलाह दी कि भारत जटिल सामाजिक-आर्थिक संरचना वाला एक विकासशील समाज है, इसलिए उद्यमी समुदाय को 'बिग-बैंग' सुधारों और कुछ सनसनीखेज विचारों के क्रियान्वयन की उम्मीद नहीं करनी...

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