देश में सिर पर मैला ढोने जैसा अमानवीय चलन आज भी पूरी तरह रुक नहीं पाया है। शुक्रवार को जारी सामाजिक, आर्थिक, जाति आधारित जनगणना (एसईसीसी) 2011 के मुताबिक, ग्रामीण भारत में औसतन 0.10 फीसदी लोग सिर पर मैला ढोते हैं। यानी करीब 18.06 लाख लोग यह काम कर रहे हैं। आजादी मिलने के बाद से ही कई सरकारों ने इसे खत्म करने को कानून बनाए लेकिन यह चलन जारी...
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'सबके लिए घर' के मायने - सुषमा रामचंद्रन
वर्ष 2022 तक प्रत्येक देशवासी को अपना एक घर मुहैया कराने की केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना यूं तो सराहनीय है, लेकिन इसके समक्ष कई अहम सवाल भी मुंह बाए खड़े हैं। सबसे पहला सवाल तो यही है कि अगर घर बना भी दिए गए, तो उनकी गुणवत्ता कैसी होगी? उन तक बुनियादी सुविधाओं जैसे बिजली, पानी, सफाई आदि की पहुंच कैसे होगी? उनके इर्दगिर्द जरूरी बुनियादी ढांचा जैसे स्कूल,...
More »लघु उद्योगों को संवारने का है संकल्प - कलराज मिश्र
नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री के रूप में कामकाज संभाला और गांधी जयंती के मौके पर पहली बार रेडियो के माध्यम से 'मन की बात" की तो उन्होंने खादी के महत्व का बखान करते हुए हर देशवासी को खादी का एक उत्पाद अवश्य खरीदने की अपील की। इसका व्यापक असर हुआ और खादी की बिक्री में ऐतिहासिक बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस अपील के बाद सबका ध्यान सूक्ष्म, लघु एवं...
More »खुले में शौच एवं गंदे पानी से हर दिन मर रहे 1000 बच्चे : यूएन
पांच वर्ष से कम उम्र के कम से कम 1,000 बच्चे आज भी डायरिया के चलते सिर्फ इसलिए मौत का शिकार हो जाते हैं क्योंकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पानी मिल पाता है और न ही उन्हें स्वच्छ व स्वस्थ वातावरण मिलता है। दुनिया के विकासशील देशों में अधिकांश ग्रामीण इलाकों की यह तस्वीर मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र की दो बड़ी एजेंसियों ने पेश की है। यह रिपोर्ट साफ पानी...
More »किसी ने उत्सर्जन घटाने को नहीं कहा: भारत
नवीन सिंह खड़का(बीबीसी)--भारत ने कहा है कि वो संयुक्त राष्ट्र में सौंपी जाने वाली जलवायु योजना में ऐसी कोई घोषणा नहीं करेगा कि कब ग्रीन हाउस गैसों का उसका उत्सर्जन सबसे ऊंचे स्तर पर होगा. पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बीबीसी से ख़ास बातचीत में बताया कि किसी ने ऐसी कोई घोषणा करने को कहा भी नहीं है क्योंकि दुनिया भारत की विकास ज़रूरतों को जानती है. एक दिन पहले ही चीन...
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