देश की अर्थव्यवस्था से आजकल अजीब इशारे मिले हैं। बीते अक्तूबर में औद्योगिक उत्पादन 4.2 फीसद गिरा। जुलाई से सितंबर की तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर 5.3 प्रतिशत दर्ज की गई। सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पूरा जोर लगा रखा है, लेकिन देशी-विदेशी पूंजीपति नया निवेश करने से कतरा रहे हैं। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि हमारा देश ‘बैलेंस शीट रिसेशन' के...
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घर छोड़ने को मजबूर क्यों अन्नदाता? - देविंदर शर्मा
कृषि के संदर्भ में राष्ट्रीय नमूना सर्वे संगठन (एनएसएसओ) की हालिया रिपोर्ट साफ तौर पर बताती है कि कृषि न केवल संकट के दौर से गुजर रही है, बल्कि उसका तेजी से क्षरण भी हो रहा है। मैं चकित नहीं हूं। आखिरकार 1996 में ही विश्व बैंक ने भारतीय कृषि के पतन की दिशा बता दी थी। तब विश्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि अगले बीस वर्षों में भारत...
More »कोयला उद्योग की पांच दिन की हडताल शुरू
कोलकाता-नयी दिल्ली : मजदूर संगठनों ने आज पांच दिन की कोयला उद्योग हडताल शुरू की जिसे उन्होंने 1977 के बाद किसी भी क्षेत्र में की गई अब तक की सबसे बडी औद्योगिक हडताल करार दिया है. ये संगठन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया के विनिवेश और पुनर्गठन के खिलाफ हडताल कर रहे हैं. ये मजदूर ऐसी किसी योजना को वापस लेने की मांग कर रहे हैं जिसे वे ‘कोयला...
More »किसानों के हित में नहीं है नया भूमि अधिग्रहण कानून- सुभाष चंद्र कुशवाहा
जब खेती योग्य जमीनें कौड़ियों के भाव अधिगृहीत की जाने लगीं, तो वर्ष 2010 में भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों ने ‘किसान संघर्ष समिति' के बैनर तले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तीव्र विरोध किया। कई जगहों पर उग्र-हिंसक प्रदर्शन हुए, जिसके चलते किसान-पुलिस टकराव के दौरान कई लोगों की जानें गईं। दरअसल भूमि अधिग्रहण कानून के बल पर किसानों की जमीनें सस्ते में खरीदकर उद्योगपतियों को दी जा रही थीं, जो...
More »समाज और कानून की नजर में समर्पण की कीमत बस इतनी-सी?
जो महिलाएं दफ्तरों में काम करती हैं या बिजनेस संभालती हैं, उनकी सेवाओं की कीमत कमाई के आंकड़े से आंकी जा सकती है, लेकिन एक गृहिणी की सेवाओं और परिवार के प्रति समर्पण भाव की कीमत कैसे आंकी जाए? ऐसे ही एक मामले में चेन्नई के दुर्घटना दावा प्राधिकरण की संकीर्ण सोच सामने आई है। मामला है 31 वर्षीय सेल्वी का, जो कपड़े बेचकर पांच हजार रुपए प्रतिमाह कमाती थीं। एक...
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