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रबी सीजन में डीएपी और कॉम्प्लेक्स उर्वरक कमी हुई तो जाने किसानों के पास क्या है विकल्प

-रूरल वॉइस, अंतरराष्ट्रीय बाजार में रासायनिक उर्वरको की कीमतो में तेजी का दौर चल रहा है क्योकि चीन ने घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए यूरिया और डीएपी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है । इसके अलावा, बेलारूस पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध की वजह से निर्यात करने में असमर्थ है जिसके कारण ,ग्लोबल मार्केट में  डीएपी के लिए जरुरी कच्चे माल जैसे फास्फोरिक एसिड और अमोनिया के...

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वैश्विक कीमतों में भारी बढ़ोतरी से उर्वरकों की कमी के संकट की आशंका

-रूरल वॉइस, अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरक कीमतों में भारी बढ़ोतरी का दौर चल रहा है। चीन द्वारा यूरिया और डीएपी के निर्यात पर प्रतिबंध के फैसले के साथ ही बेलारूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाये गये आर्थिक प्रतिबंध इसकी बड़ी वजह बन रहे हैं। हालांकि चालू खरीफ सीजन में उर्वरकों की उपलब्धता का कोई कोई संकट नहीं है लेकिन तेजी से बढ़ती कीमतों के बीच उर्वरक कंपनियां आयात को टाल रही...

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एनबीएस नोटिफिकेशन में केवल फॉस्फेट पर सब्सिडी बढ़ी, एमओपी और कॉम्पलेक्स की बढ़ी लागत उर्वरक उठाएंगी या किसान

-रूरल वॉइस,  डीएपी की कीमतों में भारी बढ़ोती के कारण पैदा हुए राजनीतिक दबाव और किसानों की नाराजगी को कम करने के लिए 19 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर सब्सिडी में 14 हजार रुपये प्रति टन की भारी बढ़ोतरी का फैसला लिया। इसके तहत  डीएपी पर मिलने वाली सब्सिडी 24,231 रुपये प्रति टन हो गई है। किसानों को...

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अमोनिया से दिल्ली में पानी का संकट,हो सकती है कई बीमारियां

-वाटर पोर्टल इंडिया, कुछ हफ़्तों से यमुना में अमोनिया पाया गया है। जिसके बाद दिल्ली जल बोर्ड की और से कहा गया है कि दिल्ली के कई घरों में पानी की आपूर्ति बाधित हो सकती है। टैंकरो से लोगों तक पानी पहुँचाया जाने की व्यवस्था दिल्ली जल बोर्ड के द्वारा की जा रही है।30- 31 अक्टूबर महीने में लोगों को कुछ इसी समस्या से जूझना पड़ रहा था।  यमुना नदी, जिसका बहाव...

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उधार माफी से नहीं होगा उद्धार - प्रदीप सिंह

बीमारी पता हो और उसका इलाज भी, फिर भी बीमारी बनी रहे तो इसे क्या कहेंगे? अपने देश में किसानों और खेती-बाड़ी के साथ यही हो रहा है। बीते सात दशक से किसान को इंतजार है ऐसी सरकार का जो उसके मर्ज का इलाज करे, लक्षण का नहीं। समस्या इतनी-सी है कि किसान फसल उपजाने के लिए जितना खर्च करता है, उसे बेचकर वह उतना भी नहीं कमा पाता। सरकारों...

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