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केंद्रीय बजट में दलित-आदिवासी के लिए प्रत्यक्ष लाभ कम, दिखावा अधिक

-न्यूजक्लिक, इस वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए अनुसूचित जातियों (अजा) के लिए बजट कुल 1,42, 342.36 करोड़ रुपये और अनुसूचित जनजाति (अजजा) के लिए कुल 89,265.12 करोड़ रुपये तय किया गया है। अजा के लिए 329 योजनाओं और अजजा के लिए 336 योजनाओं को क्रमश: अनुसूचित जाति कल्याण (AWSC) और अनुसूचित जनजाति कल्याण (AWST) के लिए बजट में शामिल किया गया है। हालांकि, आवंटित बजट दिखने में काफी बड़ा लगता है। लेकिन...

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दलित-आदिवासियों को 2022-23 के आम बजट में क्या मिला?

-डाउन टू अर्थ, केंद्र सरकार ने विशेष योजना घटक (एससीपी) के तहत अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजाति उपयोजना (टीएसपी) के तहत आदिवासी समुदाय (एसटी) के लिए जो बजट आवंटित किया है, उस पर दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच (दशम) ने कई सवाल खड़े किए हैं। दशम ने 2 फरवरी को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि दलित आदिवासियों के लिए आवंटित बजट का लाभ इन वर्गों के बजाय कंपनियों...

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नए भारत में पनपते अंधविश्वास आधारित अपराध

-कारवां, “हमे नहीं पता कि क्या हुआ है!” आदिवासी कार्यकर्ता और पेशे से डॉक्टर अभय ओहरी रतलाम, मध्य प्रदेश में जय आदिवासी युवा शक्ति नाम का एक आदिवासी युवा संगठन चलाते हैं. एक दिन उन्हें संगठन के एक कार्यकर्ता का फोन आया, जिसने घबराई हुई आवाज में उन्हें जल्द से जल्द रतलाम जिला अस्पताल पहुंचने के लिए कहा. उन्हें बताया गया कि “राजाराम खादरी का शव यहां है. वो मर चुका है....

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महामारी से कितनी प्रभावित हुई दलित-आदिवासी शिक्षा?

-न्यूजक्लिक, पिछले दो सालों में कोरोना महामारी ने अन्य व्यवस्थाओं के साथ शिक्षा व्यवस्था को भी अस्त-व्यस्त कर दिया। सुखद है कि अब धीरे-धीरे शिक्षा व्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है। महामारी ने यूं तो सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को भी प्रभावित किया पर दलित-आदिवासी छात्र-छात्राओं का तो भविष्य ही दांव पर लग गया। इसमें हमारी जातिवादी और पितृसत्तावादी मानसिकता और उभर कर सामने आई। हाल ही में दलित आर्थिक अधिकार...

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अनहेल्दी सीक्रेट्स - क्यों जरूरी है पीएम केयर्स फंड की जांच

-कारवां, आजादी के बाद देश के सभी बड़े शहरों में पाकिस्तान से आने वाले हिंदू और सिख शरणार्थियों की संख्या हर बीतते दिन बढ़ रही थी. जवाहरलाल नेहरू उस समय देश की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री थे और उनके आधिकारिक आवास तीन मूर्ति भवन में भी लोगों की भीड़ लगी रहती. नेहरू के निजी सचिव रहे एम. ओ. मथाई अपनी किताब रेमनिसंस ऑफ दि नेहरू ऐज में नेहरू की एक आदत...

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