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जीरो बजट खेती वह रोमांटिक गाना है, जिसे किसान चाह कर भी गा नहीं सकते

-द प्रिंट, जीरो बजट खेती का मूल मंत्र यह है कि यदि किसान अपने ही खेत में मेहनत कर रहा है तो उसकी दैनिक मजदूरी का कोई मूल्य नहीं है. प्रत्यक्ष रूप से तो उसे वैसे भी कुछ नहीं मिलता लेकिन जीरो बजट में सरकार कागज पर भी इसे जीरो ही मानेगी. नीति आयोग में बैठे नीति नियंता देश के किसान के बारे में उससे भी ज्यादा जानते हैं और यही तथ्य...

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COP26: जलवायु के दुश्मन धरती को बचने देंगे?

-जनपथ, आगामी 31 दिसंबर से ग्लासगो (ग्रेट ब्रिटेन) में COP26 विश्व पर्यावरण सम्मेलन हो रहा है। इसमें चीन को छोड़कर दुनिया के अधिकतर राजप्रमुख शामिल हो रहे हैं। इसे दुनिया को बचाने का आखि‍री मौका माना जा रहा है। उद्घाटन भाषण में ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सरकारों के अलावा कॉरपोरेट जगत को भी सहयोग करने की अपील की। दुनिया में बढ़ते प्रदूषण को लेकर यह छब्बीसवां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन...

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जेट्टी पर ज़िंदगी: मलिम में मालिक और मछलियों के बीच खट रहे प्रवासी आदिवासियों की व्यथा-कथा

-जनपथ, गोवा में गणपति विसर्जन की छुट्टियों के बीच वह एक ऊंघती हुई दोपहर थी। प्रवासी मज़दूरों के बीच काम करने वाली संस्था ‘दिशा फाउंडेशन’ के कुछ साथियों के साथ मैं एक थोक मछली बाज़ार में खड़ा था। बाज़ार बंद था। इलेक्ट्रॉनिक तराजुओं की लाल बत्तियां गुल थीं। मछलियाँ नहीं आयी थीं। ग्राहक ग़ायब थे। मालिक नदारद। अलबत्ता उनके मुलाज़िम मोबाइल की नशीली दुनिया में खोये हुए थे। तभी किसी के...

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देश की इकलौती कछुआ सेंचुरी हुई शिफ्ट

-इंडिया वाटर पोर्टल,  कभी देश की इकलौती कछुआ सेंचुरी  उत्‍तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा नदी में  स्‍थ‍ित थी। लेकिन मार्च 2020 में उसे  ड‍िनोट‍िफाई कर  गंगा नदी में ही प्रयागराज के कोठारी गांव में  मिर्जापुर और भदोही के 30 किलोमीटर के दायरे में शिफ्ट किया गया है। यानी  गंगा एक्‍शन प्‍लान के तहत 1989 में चिन्‍हित की गई सेंचुरी का  वाराणसी में कोई वजूद नही है  वन विभाग के अध‍िकारियों के मुताबिक...

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रसगुल्ला का टेस्ट लग रहा नमकीन, पोस्ट-कोविड बाद शुगर, बालों का झड़ना जैसी गंभीर समस्या; एक्सपर्ट से जानिए क्या है वजहें

-आउटलुक, कोई आपसे पूछे कि रसगुल्ला का स्वाद कैसा होता है? मीठा,स्वादिष्ट या नमकीन,कड़वा। स्पष्ट है कि आपका उत्तर पहला होगा। लेकिन, रांची की रहने वाली गुड्डू से आप पूछेंगे तो वो कहेंगी- नमकीन, कड़वा। 30 साल की गुड्डू अप्रैल-मई महीने में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में संक्रमित हो गईं थीं। इस वायरस से उबरने के करीब तीन महीने बाद भी गुड्डू अपने स्वाद को लेकर परेशान हैं। वो आश्चर्य जताते हुए आउटलुक...

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