डाउन टू अर्थ, 27 अक्टूबर गुलाबी सुंडी यानी पिंक बॉलवर्म के हमलों के चलते 2000 के दशक से भारतीय किसानों को अपनी कपास की फसल से लगातार नुकसान झेलना पड़ रहा है। वैज्ञानिकों को पता चला है कि इस कीट ने आनुवंशिक रूप से संशोधित बीटी कपास के प्रति भी प्रतिरोध विकसित कर लिया है। इससे पहले आप पढ़ चुके हैं कि गुलाबी सुंडी के कारण आत्महत्या के कगार पर पहुंचे किसान,...
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कीटनाशक बनाने वाली कंपनी पर किसानों ने लगाया फसलें खराब करने का आरोप, कार्रवाई की मांग
मोंगाबे हिंदी, 06 अप्रैल सलीम पटेल, 43, गुजरात के भरूच जिले के वागरा तालुका के त्रालसा गांव में कपास की खेती करते हैं। वह पिछले 16 साल से ज्यादा समय से कपास उगा रहे हैं। उनके पास 22 एकड़ जमीन है जिसमें से आधे से ज्यादा पर कपास की ही खेती होती है। नर्मदा नदी की तलहटी के निचले मैदानों में मौजूद इन खेतों की सिंचाई नहरों से होती है और...
More »पोषक अनाजों की खेती:- वर्तमान और भविष्य
पोषक अनाजों की अहमियत को समझते हुए भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन के सामने एक प्रस्ताव रखा था। नतीजन पूरी दुनिया, वर्ष 2023 को, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है।भारत,दुनिया में पोषक अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। साल 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी के आस–पास थी। पढ़िए इस लेख में पोषक अनाजों पर विस्तार से; प्राचीन...
More »कम किया किसानों ने कृषि रसायन का उपयोग; खपत में आई गिरावट
कृषक जगत, 11 अक्टूबर कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2021-22 के लिए भारत में कृषि रसायनों की राज्यवार खपत पर नवीनतम रिपोर्ट जारी की है। भारत में वर्ष 2021-22 के लिए कृषि रसायनों की खपत 58,720.12 मीट्रिक टन बताई गई है जो पिछले वर्ष की तुलना में 5.58% कम है। पिछले 4 वर्षों के औसत की तुलना में 2021-22 में कृषि रसायनों की खपत 4.89% कम है। जिन दो राज्यों...
More »मीडिया की सुर्ख़ियों से गायब है अनाजों में बढ़ती 'महंगाई दर' की बात!
कुछ राज्यों में मानसून देरी से आया है इस कारण बोये गए चावल का इलाका पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ है. आंकड़ो में कहें तो 29 जुलाई,2022 तक 231.59 लाख हेक्टेयर रकबे में ही चावल बोये गए हैं जोकि पिछले वर्ष के इसी समय काल की तुलना में कम (267.05 लाख हेक्टेयर) है. बोये गए चावल के इलाके में आयी कमी सहित अन्य कारणों से अनाजों के दामों में महंगाई बढ़ने का डर...
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