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केंद्र सरकार को अपना वायदा याद दिलाने के लिए देशभर में सड़कों पर उतरे किसान

-न्यूजक्लिक, संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 31 जनवरी को देश भर में किसानों ने "विश्वासघात दिवस" मनाया और जिला और तहसील स्तर पर बड़े रोष प्रदर्शन आयोजित किए। मोर्चे से जुड़े सभी किसान संगठनों ने इसमें भागीदारी की है। किसान संगठनों ने दावा किया कि यह कार्यक्रम देश के कम से कम 500 जिलों में आयोजित किया गया है। जिसमें बड़ी सभाएं और जुलूस शामिल थे, जहां प्रदर्शनकारियों ने जिला...

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राष्ट्रीय बालिका दिवस : लड़कियों को अब मिल रहे हैं अधिकार, पर क्या सशक्त हुईं बेटियां?

-न्यूजक्लिक, भारत के इतिहास में 24 जनवरी का दिन महिला शक्ति और सशक्तिकरण के लिए याद किया जाता है। इस दिन साल 1966 में 24 जनवरी को इंदिरा गांधी ने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। और आज ही के दिन साल 2009 में महिला बाल विकास मंत्रालय ने पहली बार देश में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत की थी। लड़कियों को समर्पित ये दिन...

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किसानों और सरकारी बैंकों की लूट के लिए नया सौदा तैयार

-न्यूजक्लिक, ऋण, भूमि उपयोग को बदलने का शक्तिशाली औजार है और एसबीआई-अडानी सौदा, भूमि उपयोग के पैटर्न में इस तरह का बदलाव करने का ही एक तरीका है। दूसरे शब्दों में, ऐसे ‘‘राष्ट्रीयकृत बैंक-एनबीएफसी’’ सौदों के जरिए, सरकार वह हासिल करने की कोशिश कर रही है, जो वह तीन कृषि कानूनों के रास्ते से हासिल नहीं कर पायी है। ऐसे सौदों को वैसे ही भीषण तरीके से तथा वैसी ही एकाग्रता...

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भारत में कृषि क्षेत्र को सुधार की जरूरत, किसान आंदोलन की जीत से आगे बढ़कर नया घोषणापत्र बनाने का समय

-द प्रिंट, किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत के साथ एक खतरा यह बंध गया है कि कहीं आंदोलन यथास्थितिवाद के गर्त में ना लुढ़क जाये. ऐसा ना तो इष्ट-अभीष्ट है और ना ही आंदोलन के लिए व्यावहारिक. हां, हमारे आंदोलन को यथास्थितिवाद के रसातल में ढकेलने का काम एक-दूसरे के विरोधी नजर आने वाले दो खेमों की तरफ से हो सकता है. ऐसा एक खेमा बाजारवादी सुधारों के पैरोकार पंडितों का है...

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क्यों चंपारण और खेड़ा के किसान आंदोलनों से बड़ा है मौजूदा किसान आंदोलन

-रूरल वॉइस, आज यानी 11 दिसंबर को गुरू ग्रंथ साहिब के पाठ और हवन के बाद किसान दिल्ली की सीमाओं पर लगे मोर्चों से अपने घरों को वापसी करेंगे। 378 दिन चला किसान आंदोलन देश और दुनिया के इतिहास में एक ऐसा मुकाम बना चुका है जिसके दोहराये जाने की कल्पना अभी संभव नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा जून, 2020 में अध्यादेशों के जरिये लाये गये तीन नये कृषि कानूनों के...

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