शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को लेकर एक स्वाभाविक आकर्षण है क्योंकि यह कृषि जैसे मुश्किल व्यवसाय को सरलता से प्रकट करता है। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि में जोखिम कम होता है और पूंजी की आवश्यकता नहीं के बराबर होती है। इसे विदर्भ के किसान नेता सुभाष पालेकर द्वारा गढ़ा गया है जिन्हें 2016 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को वैसा ही स्थान मिला...
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तूफान और बदकिस्मत मछुआरे-- एस श्रीनिवासन
गुजरात चुनाव के मद्देनजर जारी तू-तू, मैं-मैं की राजनीति और पद्मावती फिल्म को लेकर देश के उत्तरी राज्यों मेंमचे हंगामे के आगे दक्षिण भारत के उन हजारों मछुआरों और उनके परिवारों की दारुण कथा बौनी रह गई, जो ओखी चक्रवाती तूफान की मार से उजड़-बिखर गए हैं। तमिलनाडु और केरल के तटीय इलाकों के 800 मछुआरे आज भी अपने घर वापस नहीं लौट पाए हैं। करीब 10 दिनों पहले वे...
More »बेरोजगारी का दंश, जाति के तर्क--- ए. श्रीनिवासन
बीते शनिवार को मशहूर दलित लेखक और एक्टिविस्ट कांचा इलैया को हैदराबाद के उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। आंध्र और तेलंगाना पुलिस ने सुरक्षात्मक वजहों से यह नजरबंदी की, ताकि इलैया को अभिव्यक्ति की आजादी विषय पर विजयवाड़ा में भाषण देने जाने से रोका जा सके। अपने लेखन से धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए कांचा इलैया को जान से मारने की कई धमकियां मिल चुकी हैं। इलैया...
More »आफत की बारिश: 4 लाख लोग प्रभावित, हजारों बेघर
नई दिल्ली। बाढ़ से बिहार की राजधानी पटना में रविवार को राहत की स्थिति रही। लेकिन बाकी आठ बाढ़ प्रभावित जिलों में आफत बरकरार रही। राज्य में कमोबेश चार चार लाख लोग बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और बलिया में हालात ज्यादा बिगड़ गए हैं। इन दोनों शहरों के नए इलाकों में बाढ़ का पानी पहुंच गया है। पश्चिम बंगाल के मालदा में भी गंगा के...
More »वक्त के पन्नों पर जो दर्ज कर गये अपनी अमिट छाप
नियम यह है विधाता का / सभी आकर चले जाते / मगर कुछ लोग ऐसे हैं / जो जाकर भी नहीं जाते। न सब धनवान होते हैं / न सब भगवान होते हैं/ दयालु, लोकप्रिय, सतपाल / भले इनसान होते हैं।। ... और ऐसा कोई इनसान जब वक्त के पन्नों पर अपनी अमिट छाप छोड़ कर हमारे बीच से विदा होता है, तो यह हम सबका साझा फर्ज बनता...
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