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वैकल्पिक ईंधन से आर्थिक संप्रभुता-- शशांक द्विवेदी

एक समय था जब भारतीय पेट्रोलियम मंत्री को तेल व गैस उत्पादन करने वाले बड़े देशों के संबंधित मंत्रियों से मिलने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। लेकिन पिछले कुछ सालों में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बाद और भारत की तेज आर्थिक विकास दर को देखते हुए ये तमाम देश अब भारतीय पेट्रोलियम मंत्री से मिलने का कोई मौका नहीं गंवाते। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा मंच (इंटरनेशनल एनर्जी फ़ोरम,...

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नए-नए आयाम तय करता भारतीय विज्ञान - मुकुल व्‍यास

इस वर्ष भारतीय विज्ञान एक नए शिखर पर पहुंचा। हमारे वैज्ञानिकों और रिसर्चरों ने विभिन्न् क्षेत्रों में ऐसी कई उपलब्धियां हासिल की जो सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि दुनिया में सराही गईं। ये ऐसी उपलब्धियां हैं जिन पर हर भारतीय को गर्व होना चाहिए। 2017 में शानदार उपलब्धियों की शुरुआत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने फरवरी में एक ही रॉकेट से 104 उपग्रह छोड़कर की थी। यह अनोखा विश्व...

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नये साल की यही शुभकामना !-- योगेन्द्र यादव

अगर चंपारण और रूस की क्रांति के लिए प्रसिद्ध 1917 देश और दुनिया में संभावनाएं खुलने का वर्ष था, तो 2017 देश और दुनिया के सिकुड़ने का साल माना जायेगा. यह साल संभावनाओं के सिकुड़ने का साल था और संवेदनाओं के सिमटने का साल था. बीते साल में भाजपा का विस्तार और लोकतंत्र का पराभव जारी रहा. भाजपा चुनाव भी जीती और राजनीति के खेल भी. उत्तर प्रदेश में...

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टिकाऊ विकास की उर्जा-- रमेश सर्राफ धमोरा

भारत में हर साल चौदह दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है। भारत सरकार ने वर्ष 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम लागू किया था। इस अधिनियम में ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों को इस्तेमाल में लाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी करना, पारंपरिक स्रोतों के संरक्षण के लिए नियम बनाना आदि शामिल था। भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाने का मकसद लोगों को ऊर्जा के महत्त्व के...

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डिजिटल मीडिया का सच-- अरिमर्दन कुमार त्रिपाठी

भारतीय लोकतंत्र की व्यापक परिधि में आज भी वह परिपक्वता नहीं है, जो किसी स्वस्थ समाज और लोक कल्याणकारी राज्य के लिए आवश्यक है। समाज में गरीबी, कम शिक्षा दर, सांप्रदायिक सोच, जातीय उन्माद, जेंडरगत कुंठा, व्यक्तिगत स्वार्थपरता और पूंजी के शातिराना खेल ने जिस परिवेश को बढ़ाया है, उसमें लोकतांत्रिक मूल्यों का लगातार क्षरण हो रहा है। जबकि देश में मीडिया के प्रति विश्वसनीयता की लंबी परंपरा रही है।...

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