-डाउन टू अर्थ, भारतीयों ने हल्दी की एंटीवायरल खूबियों के चलते वर्ष 2020 में इसका खासा सेवन किया, इसकी कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के दौरान इसे फायदेमंद बताया जा रहा था। खाना पकाने में इस्तेमाल के अलावा, लोगों ने काढ़े के रूप में इसका जमकर सेवन किया। लॉकडाउन के दौरान बाजार में शुद्ध शाकाहारी हल्दी के लैटेस से लेकर चिया टरमरिक कुकीज और डिटॉक्स चाय जैसे कई उत्पाद बढ़ गए हैं। हालांकि, हल्दी...
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52 की उम्र में सीखी नयी तकनीक, चीया सीड्स उगाकर कमा रहीं तीन गुना मुनाफा
-द बेटर, कर्नाटक के एचडी कोटे तालुका की आदिवासी महिला, प्रेमा की कहानी काफी दिलचस्प है। वह हमेशा से अपनी आजीविका के लिए जंगलों पर ही निर्भर थीं। लेकिन जब साल 2007 में राज्य सरकार ने उन्हें नागरहोल जंगल से सोलेपुरा रिज़र्व फॉरेस्ट में बसाया, तब उनके लिए काफी कुछ बदल गया। साल 2007 में पुनर्वास के बाद, प्रेमा को खेती करने की सलाह दी गई। लेकिन प्रेमा के लिए यह सबकुछ...
More »आधिकारिक डेटा 2020 राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान शहरी क्षेत्रों में आजीविका संकट के गहराने की पुष्टि करता है!
हाल ही में जारी किया गया त्रैमासिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) डेटा मोटे तौर पर देशव्यापी लॉकडाउन अवधि के दौरान रोजगार और नौकरियों में गिरावट की पुष्टि करता है, हालांकि विभिन्न सर्वेक्षण-आधारित अध्ययन और शोध पत्र इस बात की ओर इशारा करते हैं कि पिछले साल लॉकडाउन के बाद के महीनों में कुछ हद तक सुधार हुआ है. पीएलएफएस पर त्रैमासिक बुलेटिन केवल वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) संदर्भ में...
More »नई ILO रिपोर्ट: टेक्नोलॉजी आधारित नए डिजिटल श्रम प्लेटफार्म श्रमिकों के अधिकारों की अनदेखी कर रहे हैं!
वेबआधारित और प्लेटफॉर्म श्रमिकों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं हम में से हर एक के जीवन को प्रभावित करती हैं, लेकिन श्रम क्षेत्र को बदलने में डिजिटल श्रम प्लेटफार्मों की भूमिका के बारे में ऐसी जानकारियां बहुत कम है. ऐसे डिजिटल श्रम प्लेटफार्मों ने श्रमिकों, व्यवसायों और समाज के लिए अभूतपूर्व अवसर पैदा किए हैं. हालांकि, ये डिजिटल प्लेटफॉर्म उचित काम और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के लिए गंभीर खतरे भी पैदा...
More »कोरोना वायरस से जुड़ी भ्रांतियों के कारण, हजारों छोटे महिला मुर्गीपालक किसानों को व्यवसाय में हुआ घाटा
-विलेज स्कवायर, कुंती धुर्वे, मध्य प्रदेश में होशंगाबाद जिले के केसला प्रशासनिक ब्लॉक के जामुंडोल गांव की एक लघु स्तरीय मुर्गी-उत्पादक हैं। केसला के कुल 15,000 परिवारों में से, लगभग 9,000 आदिवासी परिवार हैं। लगभग 13% अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखते हैं। कुंती धुर्वे 2001 में गठित एक सहकारी समिति, केसला पोल्ट्री सोसाइटी की अध्यक्ष भी हैं। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद और बैतूल जिले के 47 गाँवों के आदिवासी और दलित समुदायों...
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