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श्वेत-अश्वेत' महज प्रचलन या नस्लवाद का वर्चस्व?

-न्यूजलॉन्ड्री, अमेरिका में पुलिसिया दमन से मारे गए जॉर्ज फ्लॉएड की मौत के बाद दुनिया भर में नस्लवाद के खिलाफ आंदोलन हो रहे हैं. हर ज़ुबान में बहुत कुछ लिखा जा रहा है. हिन्दी में भी टिप्पणियों और लेखों का अंबार है. पश्चिमी मुल्कों में पिछले कई सालों से चल रहे आंदोलन 'ब्लैक लाइव्स मैटर' को लेकर हिन्दी में कैसे लिखा जाए, यह एक समस्या है. 'ब्लैक' लफ्ज़ ही समस्या है....

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गोडसे ने सेकुलर नेहरू या कम्यूनल जिन्ना को नहीं, धार्मिक गांधी को ही गोली क्यों मारी?

-मीडियाविजिल यह तथ्य है जिससे हम आंख चुरा नहीं सकते कि आज ही के दिन महात्मा गांधी की हत्या हुई थी। और यह सच है जिससे हम आंख मिलाना नहीं चाहते कि इस हत्या के बाद हम सबने गांधी के विचारों की हत्या लगातार की है। अपनी हत्या के बाद गांधी इस देश के नेताओं की जुबान पर रहे। कुछ ने उनके नाम को मीठी गोली की तरह चुभलाया, जिससे उनकी राजनीति...

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समाज को हिंसक होने से रोकिए-- कुमार प्रशांत

मुझे यह जानने में कोई दिलचस्पी नहीं है कि अलीगढ़ में अखिल भारत हिंदू महासभा के जिन लोगों ने 30 जनवरी, 2019 को महात्मा गांधी को ‘सामने खड़ा करके░' फिर से गोली मारने का कुत्सित खेल खेला, वे कौन थे, उनकी गिरफ्तारी हुई या नहीं अौर गिरफ्तारी नहीं हुई, तो क्यों नहीं हुई? कोई मुझसे पूछे, तो मैं बार-बार यह कहने को तैयार हूं कि न तो उनकी गिरफ्तारी होनी...

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तमिलनाडु में महात्मा की चमक-- रामचंद्र गुहा

महात्मा गांधी आधुनिक युग के ऐसे इंसान हैं, जो किसी भी अन्य भारतीय की अपेक्षा अपने होने को सार्थक करते हैं। एक ऐसे हिंदू, जिन्होंने मुसलमानों के समान अधिकारों के लिए अपना करियर तो समर्पित किया ही, जीवन भी बलिदान कर दिया। 1922 में राजद्रोह के मुकदमे की सुनवाई कर रहे अंग्रेज जज ने पेशा पूछा, तो उनका जवाब था- ‘किसान और बुनकर'। जीवन यापन के दो ऐसे तरीके, जो...

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क्या कहती है सबरीमाला की राजनीति- एस, श्रीनिवासन

आखिरकार नए साल में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं ने सबरीमाला में प्रवेश करके अपने भगवान अयप्पा की पूजा-अर्चना करने में कामयाबी हासिल कर ली। उन्हें यह सफलता सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तीन महीने बाद मिल पाई है। ऐसा लगता है कि केरल की वाम मोर्चा सरकार औरतों को इस मंदिर में प्रवेश दिलाने के लिए माकूल वक्त का इंतजार कर रही थी। जिन दो महिलाओं...

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