सीबीआई की विशेष अदालत से 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले के सभी आरोपियों के बरी होते ही सियासी तापमान का बढ़ना स्वाभाविक है। कांग्रेस अब केंद्र सरकार और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में देश को कथित रूप से गुमराह करने के लिए माफी मांगने की मांग कर रही है। जवाब देने के लिए सत्ता पक्ष की तरफ से वित्त मंत्री अरुण जेटली मैदान में उतर आए हैं। हालांकि...
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संस्थाओं को सुदृढ़ करने का वक्त - डॉ. भरत झुनझुनवाला
अर्थशास्त्रियों में इस बात को लेकर सहमति बन रही है कि आर्थिक विकास की असल कंुजी देश की संस्थाओं में निहित है। सस्ते श्रम से आर्थिक विकास हासिल होना जरूरी नहीं है। जापान में श्रम महंगा है, फिर भी आर्थिक विकास में वह देश आगे है। आवश्यक नहीं कि प्राकृतिक संसाधनों जैसे कोयले अथवा तेल के जरिए भी विकास हासिल हो ही जाए। सिंगापुर में प्राकृतिक संसाधन शून्यप्राय हैं, फिर...
More »बेदम इकाई का निजीकरण ही भला - डॉ. भरत झुनझुनवाला
आखिरकार सरकार ने एअर इंडिया के निजीकरण का निर्णय ले ही लिया। सार्वजनिक इकाइयों के निजीकरण के विरुद्ध पहला तर्क मुनाफाखोरी का दिया जा रहा है। जैसे ब्रिटिश रेल की लाइनों की कंपनियों का निजीकरण कर दिया गया। पाया गया कि रेल सेवा की गुणवत्ता में कमी आई। रेलगाड़ियों ने समय पर चलना बंद कर दिया। सुरक्षा पर खर्च में कटौती हुई, परंतु रेल का किराया नहीं घटा। दक्षिण अमेरिका...
More »किस हद तक माफ हों कर्ज-- आर. सुकुमार
भारत में इस मानसून की यदि कोई थीम है, तो मेरी राय में वह ‘कर्ज' है। तीन मामले आपके सामने रख रहा हूं। पहला, रिजर्व बैंक अपनी नई ताकतों से परिचय करा रहा है। नई बैंकरप्सी कोड के तहत उसने 12 बड़ी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है। इन कंपनियों पर हमारे बैंकिंग सिस्टम के कुल एनपीए यानी डूबे हुए कर्ज का लगभग एक चौथाई हिस्सा बकाया है। यह रकम...
More »घाटा, कर्ज का भीषण कांटा!-- अनिल रघुराज
कालेधन को साफ करने की जिस वैतरणी के लिए सरकार ने देश के 26 करोड़ परिवारों को तकलीफ की भंवर में धकेल दिया, वह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हमारी अर्थव्यवस्था के लिए कर्मनाशा बनती दिख रही है. आइएमएफ जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संगठन तक ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास का अनुमान 7.6 प्रतिशत से घटा कर 6.6 प्रतिशत कर दिया है, जबकि चीन का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ा...
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