हाल ही में हुए दिल्ली दंगों में 45 से ज्यादा लोगों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है. इसलिए देश में होने वाली सांप्रदायिक घटनाओं से संबंधित आधिकारिक आंकड़ों को देखना आवश्यक है. हम यह आंकड़े, गृह मंत्रालय (MoHA) की हर वर्ष जारी होने वाली वार्षिक रिपोर्ट, जिसमें विभिन्न वर्षों में सांप्रदायिक घटनाओं की संख्या के बारे में जानकारी मिलती है, से देख सकते हैं. इस रिपोर्ट में सांप्रदायिक घटनाओं...
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गृह मंत्रालय ने अपनी हालिया वार्षिक रिपोर्ट में 2018 में हुए सांप्रदायिक दंगों से संबंधित डेटा नहीं किया प्रकाशित
हाल ही में हुए दिल्ली दंगों में 45 से ज्यादा लोगों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है. इसलिए देश में होने वाली सांप्रदायिक घटनाओं से संबंधित आधिकारिक आंकड़ों को देखना आवश्यक है. हम यह आंकड़े, गृह मंत्रालय (MoHA) की हर वर्ष जारी होने वाली वार्षिक रिपोर्ट, जिसमें विभिन्न वर्षों में सांप्रदायिक घटनाओं की संख्या के बारे में जानकारी मिलती है, से देख सकते हैं. इस रिपोर्ट में सांप्रदायिक घटनाओं...
More »सामाजिक असमानताओं के कुचक्र में फंसा 'डिजीटल इंडिया' का सपना
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की एक हालिया रिपोर्ट डिजिटल डिवाइड और भारत के कैशलेस अर्थव्यवस्था बनने के विरोधाभास को उजागर करती है. नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की ‘भारत में शिक्षा पर घरेलू सामाजिक उपभोग के प्रमुख संकेतक, जुलाई 2017 से जून 2018' नामक रिपोर्ट में कंप्यूटर और इंटरनेट की उपयोगिता के मामले में ग्रामीण-शहरी विभाजन काफी स्पष्ट दिखता है. शिक्षा पर 75वें दौर के नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की...
More »अर्थातः बचेगा डिजिटल इंडिया?
लड़खड़ाते मोबाइल नेटवर्क, घिसटते इंटरनेट और बढ़ते बिल के बीच टेलीकॉम बाजार को करीब से देखिए, आपको डिजिटल इंडिया हांफता नजर आएगा. वह उम्मीद छीजती दिखेगी जिसकी ताकत पर अर्थव्यवस्था को अगली छलांग लगानी है. सरकार ने वही किया है जो अब तक करती आई है, उसकी नीतियों ने फलते-फूलते प्रतिस्पर्धी दूरसंचार बाजार का गला दबा दिया है. ई कॉमर्स, ई गवर्नेंस, सबको मोबाइल, ई क्रांति (सेवाओं की इलेक्ट्राॅनिक डििलवरी), डिजिटल...
More »क्या मनरेगा बजट डूबती ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए काफी है?
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी, 2020 को प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2020-21, सामाजिक कार्यकर्ताओं और किसान समूहों (यहां और यहां क्लिक करें) को प्रभावित करने में विफल रहा हैं. अपनी प्रेस नोटों के माध्यम से, इन सगंठनों के सदस्य विशेष रूप से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) और प्रधानमंत्री किसान विकास योजना (PM-KISAN)और ग्रामीण और कृषि क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन में बढ़ोतरी करने के लिए केंद्र सरकार से लगातार मांग कर...
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