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दालों की खेती पर नहीं, आयात पर बढ़ाया खर्च

नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। दालों के आयात के लिए 5000 करोड़ रुपये और दलहन खेती के लिए औसतन सालाना केवल 500 करोड़ रुपये। समझा जा सकता है कि दालों की पैदावार क्यों नहीं बढ़ रही है। पिछले चार सालों में सरकार ने जितना धन दलहन की खेती के प्रोत्साहन के लिए दिया है, उससे दोगुना हर साल दालों के आयात पर खर्च होता है। जब खेती बेहतर करने में...

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धरती कहे पुकार के

ढ़ती हुई कीमतें उस आपदा का सिर्फ एक संकेत हैं, जिससे खेती जूझ रही है. दरअसल भारतीय कृषि क्षेत्र बुरी तरह से चरमरा रहा है. संकट से पार पाने के लिए नजरिए में बड़े बदलावों की जरूरत है. लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार आपदा की इस आहट को सुनने के लिए तैयार नहीं. अजित साही और राना अय्यूब की रिपोर्ट सरकारी नीतियों से लेकर अखबार की सुर्खियों तक तरजीह पाने वाली...

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प्रणब को भरोसा जल्द कम होगी महंगाई

शिलांग। महंगाई की दर भले ही सरपट चढ़ रही हो, पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को भरोसा है कि इसमें जल्द कमी आएगी। वित्त मंत्री ने शनिवार को कहा कि रबी फसलों की कटाई के बाद खाद्यान्न सामग्रियों के दामों में गिरावट आएगी। उन्होंने माना कि कुछ जिंसों के उपलब्ध न होने के कारण महंगाई बढ़ी है। इसमें आपूर्ति में बाधा एक बड़ी वजह है। मुखर्जी ने कहा कि देश को 1.8 करोड़ टन...

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‘अब हर किसी को गेहूं और चावल चाहिए’- शरद पवार

  सुबह के आठ बजे हैं. लेकिन 69 वर्षीय भारत के कृषि मंत्री  शरद पवार अपने दिल्ली स्थित घर में बने ऑफिस में व्यस्त हो चुके हैं...अनाज और सब्जियों की लगातार बढ़ रही कीमतों के मुद्दे पर आलोचनाओं से घिरे पवार ने अजित साही और राना अय्यूब से उनके कार्यकाल में कृषि नीतियों पर काफी लंबी बात की. साक्षात्कार के अंश यूपीए सरकार के कार्यकाल में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन यूपीए जब सत्ता...

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भंडार भरे, फिर भी मार रही महंगाई

नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। सरकारी भंडारों में निर्धारित मानक से तीन गुना ज्यादा अनाज, पिछले साल से बेहतर चीनी सत्र और सस्ते खाद्य तेलों की पर्याप्त उपलब्धता!...इसके बाद भी महंगाई मार रही है। दरअसल सरकार खाद्य अर्थव्यवस्था के प्रबंधन में बुरी तरह चूक गई है। शुक्रवार को संसद में चीनी की कीमतों में वृद्धि के बहाने प्रधानमंत्री ने इसे असफलता को स्वीकार भी कर लिया। उचित समय पर सही निर्णय लेने में खाद्य मंत्रालय...

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