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शेयर बाजार एक आईना है- 40 सालों में कितना बदला भारतीय बिजनेस और इसमें क्या कमी है

-द प्रिंट, चालीस साल पहले सबसे बड़े 30 व्यावसायिक ‘घरानों’ की जो कंपनियां शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध थीं उनका कुल मूल्य 6,200 करोड़ रुपये था. उस समय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) इससे 28 गुना बड़ा (1.75 लाख करोड़ रु. के बराबर) था. ज़्यादातर कंपनियां जूट, चाय, सीमेंट, चीनी, इस्पात के उत्पाद और कपड़े जैसे ‘प्राथमिक’ उत्पादों का उत्पादन करती थीं. उसके बाद से नाटकीय बदलाव हुए हैं. आज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज...

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स्वान रिपोर्ट: कोविड-19 की दूसरी लहर में भी प्रवासी मजदूर बेरोजगारी, कर्ज, भुखमरी और अनेकों अनिश्चितताओं में जीवन यापन करने के लिए मजबूर हुए!

कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के रूप में, देश के लगभग 92 प्रतिशत श्रमिक (जिनके पास सामाजिक सुरक्षा जाल तक पहुंच नहीं है) एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहे हैं. एक साल से भी कम समय में लगातार दूसरी बार देश में लॉकडाउन हुआ है. 20 अप्रैल, 2021 को, देश भर के 10 राज्यों में आंशिक लॉकडाउन और दिल्ली में पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया. 8 मई, 2021...

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निजी अस्पताल के डॉक्टरों का दावा पंजाब सरकार ने महंगे टीके खरीदने के लिए डाला दबाव

-कारवां, मई से जून के बीच पंजाब सरकार ने राज्य के निजी अस्पतालों को ढाई गुना से अधिक कीमत पर टीके बेचे. निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने मुझे बताया कि राज्य ने अस्पतालों को सीधे निर्माताओं को ऑर्डर देने के बजाय सरकार से बढ़े हुए दामों पर टीके खरीदने के लिए अपने प्रभाव का प्रयोग किया. इसका मतलब यह है कि पंजाब में लोगों की सरकारी टीकों तक पहुंच सीमित थी. टीके निजी...

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दिल्ली के निजी स्कूलों में कम हो रहे नए दाख़िले, उनका ख़र्च नहीं उठा सकते कोविड प्रभावित परिवार

-द प्रिंट, 36 वर्षीय ममता देवी दक्षिणी दिल्ली के एक घर में काम करती है, जिसे अपने तीन बच्चों को पढ़ाना है, लेकिन सीमित साधनों के साथ. महामारी में उसकी स्थिति और बिगड़ गई है. सिक्योरिटी गार्ड का काम करने वाले उसके पति की, पिछले एक साल में कई बार नौकरी छूटी, जिससे उनकी पारिवारिक आय, पहले के 1.5 लाख से घटकर, सिर्फ एक लाख से कुछ ज़्यादा पर आ गई. आय में...

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वेतन में कटौती, ‘फीस मिलने में मुश्किलें आ रहीं’—कोविड का लंबा खिंचना निजी स्कूलों की चिंता का सबब बना

-द प्रिंट, कोविड महामारी के कारण पिछले करीब एक साल से अधिक समय से स्कूल बंद हैं, और कक्षाएं ऑनलाइन लग रही हैं, इससे देशभर में शैक्षणिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ा है—और ऐसा नहीं है कि इसका खामियाजा अकेले छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. इससे निजी स्कूल विशेष रूप से प्रभावित हुई हैं, और कई स्कूलों के लिए तो अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करना भी मुश्किल हो गया...

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