जनसत्ता 23 अक्तूबर, 2013 : उत्पीड़न के साए में दिल्ली विश्वविद्यालय के आंबेडकर कॉलेज की कर्मचारी की आत्महत्या, महिला सशक्तीकरण को मात्र यौनिक सुरक्षा के चश्मे से देखने के प्रति गंभीर चेतावनी है। सभी मानेंगे कि देश की राजधानी के एक बड़े शिक्षा संस्थान के इस प्रचारित प्रकरण के चार वर्ष तक खिंचने की जरूरत नहीं थी, और इसका अंत न्याय में होना चाहिए था, न कि आत्महत्या में। काश,...
More »SEARCH RESULT
नक्सलियों ने तीन दशक में 12,000 लोगों को उतारा मौत के घाट
नयी दिल्ली : पिछले तीन दशक में नक्सलियों ने लगभग 12000 आम लोगों की हत्या कर दी. करीब 3000 सुरक्षाकर्मी इसी अवधि में नक्सलियों के हाथों मारे गये. गृह मंत्रालय के आंकडों के मुताबिक 1980 से अब तक नक्सलियों ने 11742 आम नागरिकों की हत्या कर दी. सुरक्षाबलों की बात करें तो 2947 सुरक्षाकर्मी नक्सलियों के हाथों मारे गये. इसी अवधि में सुरक्षाबलों के हाथ 4674 नक्सली मारे गये. सबसे अधिक संख्या...
More »दुग्ध उत्पादन 4.5% बढऩे के आसार
अगले वर्ष 2014 के दौरान देश में दूध का उत्पादन 4.5 फीसदी बढ़कर 1406 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) की रिपोर्ट के अनुसार इस साल मानसून सामान्य रहने से दुग्ध उत्पादन बढ़ सकता है। इसके अलावा उपभोक्ताओं की आय बढऩे से मांग में इजाफा से भी दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता व उत्पादक देश भारत में चालू वर्ष 2013 के दौरान दूध...
More »डेंगू से निपटने की चुनौती- मुकुल श्रीवास्तव
तमाम सरकारी दावों के बावजूद हर साल डेंगू से प्रभावित होने वाले लोगों का आंकड़ा पिछले साल की अपेक्षा बढ़ता जा रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि आधिकारिक आंकड़े वास्तविक आंकड़ों की तुलना में काफी कम होते हैं, क्योंकि इनमें सिर्फ वही मामले गिने जाते हैं, जिसमें मरीज इलाज कराने के लिए सरकारी अस्पतालों में जाते हैं, और जिनकी पुष्टि सरकारी प्रयोगशालाओं द्वारा होती है। डेंगू मच्छरों द्वारा...
More »परिचर्चा: विकास की अवधारणा
निमंत्रण परिचर्चा: विकास की अवधारणा डॉ. शिवराज सिंह (योजना मंडल) और प्रो. हनुमंत यादव, चर्चा में- बी.के.मनीष के साथ. छत्तीसगढ़ इलेक्शन वॉच की ’विधानसभा चुनाव जागरूकता कार्यक्रम श्रृंखला” की पहली कड़ी. सायं ४ बजे, मंगलवार, २२ अक्टूबर, प्रेस क्लब, रायपुर. धार्मिक ध्रुवीकरण तथा सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को पार कर के अब चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़े जा रहे हैं। जहां राज्य और केंद्र की वर्तमान सरकारें चहुंमुखी विकास विकास के दावे करते नहीं थक रही हैं वहीं...
More »