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वित्तमंत्री की नींद क्यों उड़ी है- आनंद प्रधान

जनसत्ता 15 फरवरी, 2012 : वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की नींद उड़ गई है। उनका कहना है कि जब भी वे सब्सिडी के बढ़ते बोझ के बारे में सोचते हैं, उनकी रातों की नींद उड़ जाती है। असल में, वित्तमंत्री ने चालू वित्तीय वर्ष के बजट में विभिन्न मदों (खासकर खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम) में कुल 1.43 लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी का अनुमान लगाया था, लेकिन रिपोर्टों के मुताबिक, इसमें लगभग एक लाख...

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सदिच्छा का सत्यानाश- इर्शादुल हक

सैकड़ों करोड़ रु की जिस रकम से बिहार के स्कूलों की तस्वीर बदल सकती थी उसका ज्यादातर हिस्सा भ्रष्टाचारियों की जेब में चला गया. इर्शादुल हक की पड़ताल सत्ता के शीर्ष से चले अच्छे इरादों का जमीन तक पहुंचते-पहुंचते किस तरह बंटाधार हो जाता है, इसका उदाहरण है यह घोटाला. इससे यह भी साफ होता है कि योजनाएं कितनी भी अच्छी बन जाएं, जब तक उन्हें अमली जामा पहनाने वाले तंत्र...

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सरकार राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण मिशन शुरू करेगी : महंत

रायपुर। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री चरण दास महंत ने कहा है कि केंद्र सरकार जल्द ही राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण मिशन शुरू करेगी। राजधानी रायपुर में रविवार को खाद्य प्रसंस्करण प्रदर्शनी 'फूड टेक' के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महंत ने कहा कि कृषि के बाद खाद्य प्रसंस्करण एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके द्वारा सर्वाधिक श्रमिकों को रोजगार दिया जा सकता है। इसी दृष्टि से केंद्र सरकार ने खाद्य...

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पूंजी के प्रतीकों पर प्रश्नचिह्न् : केविन रैफर्टी

जरूरत है.. जरूरत है.. जरूरत है.. 60 करोड़ नए जॉब्स की जरूरत है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (आईएलओ) की जनवरी 2012 की रिपोर्ट की यह हैडलाइन पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी की तरह है। रिपोर्ट कहती है कि अगले एक दशक में 60 करोड़ नए उत्पादक जॉब सृजित करने की आसन्न चुनौती का सामना करने के लिए दुनिया को अब कमर कस लेनी चाहिए। प्रेस और बीबीसी ने इस...

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विकास की बंद गली- भारत डोगरा

जनसत्ता 2 फरवरी, 2012 : हाल के वैश्विक संकट ने विश्व-स्तर पर लोगों को नए सिरे से आर्थिक नीतियों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया है। अब आम लोग और विशेषज्ञ दोनों निजीकरण, बाजारीकरण और भूमंडलीकरण पर आधारित मॉडल की प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं। आम लोगों की बेचैनी की अभिव्यक्ति सबसे प्रबल रूप में आक्युपाइ द वॉल स्ट्रीट आंदोलन के रूप में हुई है। दूसरी ओर, इस बार...

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