इटली, मलेशिया, चीन और अब साउथ कोरिया में जनसंख्या और पलायन जैसे विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत कर चुके कुणाल केसरी झारखंड के लोहरदगा जिले के रहने वाले हैं. वे इंटरनेशलन इंस्टीटय़ूट फोर पॉपुलशन साइंस मुंबई के सीनियर रिसर्च फेलो रह चुके हैं और फिलहाल मौसमी पलायना पर पीएचडी कर रहे हैं. वे झारखंड छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तरप्रदेश में हर साल होने वाले मौसमी पलायन पर रिसर्च कर रहे हैं....
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मां-बाप परदेस में,बच्चे स्कूल में- पुष्यमित्र
लगभग दस साल की पिंकी पिछले कुछ सालों तक हर साल अपने माता-पिता के साथ कोलकाता के उपनगर में स्थित एक ईंट-भट्ठे में चली जाती थी. साल के सात से आठ महीने का वक्त वहीं गुजरता था. वहां उसके माता-पिता जहां सुबह से देर शाम तक मजदूरी करते थे, उसका काम अपने दूसरे भाई-बहनों की देख-भाल करना. खाना पकाना और घर संभालना था. जरूरत पड़ने पर उसे ईंट ढोने के लिए...
More »नये भूमिअधिग्रहण कानून, जनआंदोलन और उनकी राजनीति का असर पर दो दिवसीय बैठक
निमंत्रण नये भूमिअधिग्रहण कानून, जनआंदोलन और उनकी राजनीति का असर पर दो दिवसीय बैठक नवंबर 19-20-2013 9ः30 प्रातः से सांय 6ः00 बजे तक, गांधी शांति प्रतिष्ठान, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली प्रिय साथियों, जिंदाबाद जनआंदोलनांे के बरसों चले लम्बे संघर्ष के बाद देश में औपनिवेशिक भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 के स्थान पर ‘‘उचित मुआवजे का अधिकार, भूमिअधिग्रहण में पारदर्शिता, पुनर्वास और पुर्नस्थापना कानून, 2013‘‘ आया है। आम चुनाव व विधानसभा चुनाव कई राज्यों में होने वाले...
More »आर्थिक प्रगति और रोजगार के आंकड़े
नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) के ताजा आंकड़ों को मायूस करनेवाली खबरों के मौसम में, एक राहत देनेवाली आमद माना जा सकता है. एनएसएसओ का कहना है कि 2009-10 से पहले के पांच वर्षो में भारत के शहरों और कस्बों में बेरोजगारी के स्तर में पर्याप्त कमी देखी गयी है. इन पांच वर्षो में बेरोजगारी दर 3.8 फीसदी से घट कर 2.8 फीसदी रह गयी. यह आंकड़ा 2009-10 से पहले...
More »परिचर्चा: विकास की अवधारणा
निमंत्रण परिचर्चा: विकास की अवधारणा डॉ. शिवराज सिंह (योजना मंडल) और प्रो. हनुमंत यादव, चर्चा में- बी.के.मनीष के साथ. छत्तीसगढ़ इलेक्शन वॉच की ’विधानसभा चुनाव जागरूकता कार्यक्रम श्रृंखला” की पहली कड़ी. सायं ४ बजे, मंगलवार, २२ अक्टूबर, प्रेस क्लब, रायपुर. धार्मिक ध्रुवीकरण तथा सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को पार कर के अब चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़े जा रहे हैं। जहां राज्य और केंद्र की वर्तमान सरकारें चहुंमुखी विकास विकास के दावे करते नहीं थक रही हैं वहीं...
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