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डरबन से क्या हासिल हुआ- अजय झा

जनसत्ता 20 दिसंबर, 2011: डरबन में जलवायु संकट पर अपने निश्चित समय से छत्तीस घंटे देर तक चली अंतरराष्ट्रीय शिखर वार्ता की सबसे खास बात यह थी कि किसी भी महत्त्वपूर्ण पहलू पर समझौता हुए बिना इसके परिणाम को एक बड़ी कामयाबी की तरह पेश किया गया। बकौल आयोजक और विकसित देश, समझौता अत्यधिक सफल रहा। मंत्री मशाबेन, जो कि वार्ता की अध्यक्ष थीं, ने पिछली अध्यक्ष मैक्सिको की पैट्रीशिया...

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किसान आत्महत्या मामले : अध्ययन के लिए संसदीय समिति बनाने का प्रस्ताव

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (एजेंसी) किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या के मामलों का गहराई से अध्यनन करने और ऐसी घटनाओं को रोेकने के मकसद से सरकार ने आज एक संसदीय समिति गठित करने का प्रस्ताव किया जिसमें दोनों सदनों के सदस्यों की मौजूदगी हो। विपक्ष ने सरकार के इस प्रस्ताव का समर्थन किया। कृषि मामलों पर राज्यसभा में हुई अल्पकालिक चर्चा का जवाब देते हुए कृषि मंत्री शरद पवार ने...

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छह वर्ष की उम्र से पहले बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू नहीं हो :सिब्बल

नयी दिल्ली, 14 दिसंबर (एजेंसी) छह वर्ष की उम्र से पहले बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू नहीं होने की वकालत करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने पूरे देश में नर्सरी में दाखिले की उम्र में एकरूपता लाने के लिए संसद से पहल करने और राज्य सरकारों से सहयोग की अपील की। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान गुथा सुखेन््रद रेड्डी और अन्य सदस्यों के सवाल के जवाब में सिब्बल...

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काले धन पर श्वेत पत्र लाएगी सरकार: प्रणब

नई दिल्ली, 15 दिसंबर। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा में भरोसा दिया कि सरकार विदेश में जमा भारतीयों के काले धन से संबंधित सभी जानकारियों के साथ जल्द एक ‘श्वेत पत्र’ लाएगी। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समझौतों का ब्योरा देते हुए ऐसे भारतीय खाताधारकों के नामों को सार्वजनिक करने में सरकार की असमर्थता जताई। साथ ही यह आश्वस्त किया कि विभिन्न देशों से अब तक इस बारे में जो भी नाम...

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प्रतिरोध की राजनीति- सुनील खिलनानी

अन्ना हजारे के आंदोलन के साथ ही हाल के दिनों में उभरे खनन विवाद, जमीन विवाद, परमाणु संयंत्र के खिलाफ माहौल या खाप पंचायत या गुर्जरों का क्षोभ जैसे दूसरे आंदोलन केवल सत्ता में स्थित खास पार्टी के खिलाफ चुनौती भर नहीं हैं, बल्कि वे हमारी सरकारों की शासन की क्षमता पर सवाल उठाने से भी ज्यादा गहरे हैं। वस्तुतः वे हमारे राजनीतिक क्षेत्र की भावना को समय-समय पर अस्थिर...

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