राजनांदगांव। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जचकी वार्ड में महिलाओं को कड़ाके की ठंड में भी बेड नसीब नहीं हो रहा। पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के चलते एक ही बेड पर दो-दो प्रसूताओं को सुला दिया गया है। इतना ही नहीं कई महिलाओं को तो जमीन पर ही लिटा दिया गया है। जिलेभर से पहुंच रही प्रसुताओं की संख्या व वार्ड में बिस्तरों की कमी को देखने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन...
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आम आदमी को नहीं मिली राहत----भरत झुनझुनवाला
एनडीए सरकार का दूसरा वर्ष समाप्त होने को है। यूं तो सरकार की दिशा निर्धारित हो चुकी है। फिर भी नये वर्ष में दिशा परिवर्तन की जरूरत दिखाई पड़ती है। एनडीए के पहले कार्यकाल का विवेचन करने के पहले वर्तमान चुनौती कुछ स्पष्ट हो जाती है। वाजपेयी सरकार ने कम से कम चार महान उपलब्धियां हासिल की थीं। भारत को परमाणु शक्ति बनाया था, कारगिल युद्ध को जीता था, इनफारमेशन...
More »आदिवासियों की आवाज थे जयपाल सिंह मुंडा-- अनुज कुमार सिन्हा
तीन जनवरी यानी जयपाल सिंह मुंडा का जन्म दिन. उस नेता का, जिसने न सिर्फ झारखंड आंदोलन को पहली बार एक स्वरूप दिया, बल्कि संविधान-सभा में भी पूरे देश के आदिव़ासियों का प्रतिनिधित्व करते हुए उनके हक के लिए संविधान में व्यवस्था करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. एक अच्छे और प्रभावशाली वक्ता होने के साथ-साथ वे वक्त को पहचानते थे. संगठन बनाने की कला उनमें थी. 20 साल बाहर...
More »राेजगार मिले तो पलायन रुके-- विवेक त्रिपाठी
प्रत्येक व्यक्ति को अपना मकान सुखद अनुभूति देने वाला होता है। धनी वर्ग के सामने अपना मकान बनाना किसी समस्या की भांति नहीं होता क्योंकि उसके पास धन की कमी नहीं होती। मध्य वर्ग अपनी जीवन भर की कमाई से आशियाना बनाने का प्रयास करता है, लेकिन निम्न वर्ग के लिए यह सपना ही रहता है। आज तक इस सपने में सिर्फ राजनीति ही होती रही है। इसके लिए किसी...
More »इस धुंध को चीरना होगा- शशिशेखर
दिल्ली और उसके आसपास का इलाका इन दिनों प्रदूषण की अभूतपूर्व मार से ग्रस्त है। जिधर नजर डालिए, उधर धुंध की मटमैली चादर तले खांसते, कांपते और कांखते लोग मिल जाएंगे। अपना एक निजी अनुभव आपसे शेयर करता हूं। दीपावली को दोपहर के बाद से मैं जब भी अपने घर का दरवाजा खोलता, तो बेचैन हो उठता। सामने वाले फ्लैट में एक प्यारा शिशु रहता है। अभी उसे अपना पहला जन्मदिन मनाना...
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