मौजूदा आर्थिक परिदृश्य में यह संभावना उभर रही है कि इस वर्ष निर्यात और विनिर्माण के क्षेत्र को बजट आबंटन में प्राथमिकता दी जाएगी। पिछले 14 महीनों से देश के निर्यात में लगातार गिरावट आ रही है। वर्ष 2015 में निर्यात बढ़ाने के प्रयास कारगर सिद्ध नहीं हुए हैं। पिछले वर्ष 2015 में निर्यात में वर्ष 2014 की तुलना में 20 फीसदी कमी आई है और मंद होती वैश्विक अर्थव्यवस्था...
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अच्छे दिनों की सतर्क उम्मीद-- कन्हैया सिंह
चालू वित्त वर्ष का आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि आर्थिक मोर्चे पर सरकार इस बार काफी सतर्कता बरत रही है। खासकर वर्तमान के आकलन और भविष्य के लक्ष्य तय करने के मामले में। बड़ी-बड़ी उम्मीदें बांधने की बजाय उसने व्यावहारिक रवैया अपनाया है। मसलन, अगले वित्त वर्ष की विकास दर को ही लें। सरकार ने अनुमान लगाया है कि अगले साल जीडीपी की विकास दर सात से साढ़े सात फीसदी के...
More »झारखंड में 59% कमीशन
रांची : भाजपा विधायक शिवशंकर उरांव ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विधानसभा में अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया. बजट सत्र में बुधवार को चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि झारखंड में विकास योजनाओं की 59 प्रतिशत राशि कमीशन में चली जाती है. ऐसे में विकास के काम धरातल पर कैसे उतरेंगे़ भाजपा विधायक की ओर से उठाये गये इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने भी...
More »युवा, लाभांश और देश का भविष्य- संदीप मानुधने
देश में कहीं भी जाइये, चारों ओर अगर चुनौतियों के अलावा कोई और चीज साफ नजर आयेगी, तो वह है युवा! हर युवा की आंखों में एक चमक है- कोई अपना स्टार्टअप करके देश बदलने का स्वप्न देख रहा है (आखिर इस साल की ताजतरीन मिठाई जो ठहरी!), कोई विदेश जाने का (इतनी अच्छी लाइफ यहां कैसे मिलेगी!), तो कोई आइएएस बन कर प्रशासनिक क्रांति लाने का सपना देख रहा...
More »ग्रामीण मांग बढ़ाने की जरूरत- बी के चतुर्वेदी
पिछले वर्ष जब वित्त मंत्री अरुण जेटली अपने पहले पूर्ण बजट पर बोलने के लिए खड़े हुए थे, तब अनेक लोग यह उम्मीद कर रहे थे कि वह कोई ऐसा नीतिगत दस्तावेज पेश करेंगे, जिससे मोदी सरकार के वायदों को पूरा करने की ठोस जमीन तैयार हो। इस बार जब वह बजट पेश करेंगे, तो अपेक्षाएं अचानक बहुत बदल गई हैं। राष्ट्र अब कुछ प्रमुख मुद्दों पर विश्वसनीय समाधान की...
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