अव्वल तो यही कि हम अपनी धारणाओं को दुरुस्त कर लें। मसलन, विजय माल्या का ही मामला लें तो पाएंगे कि आम धारणा यह है कि माल्या ने शानो-शौकत की जिंदगी बिताने के लिए बैंकों को भरमाकर 9000 करोड़ रुपयों तक का कर्ज ले लिया और जब कर्ज का बोझ बढ़ गया और चुकतारे का कोई रास्ता नजर आना बंद हो गया तो वह भारत छोड़कर फुर्र हो गया। लेकिन...
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एडीबी ने भारत के लिए विकास दर का अनुमान घटाया
दिल्ली। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने वित्त वर्ष 2016-17 में भारत की विकास दर 7.4 प्रतिशत रहने का अंदाजा लगाया है। इससे पहले भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। एडीबी ने बुधवार को कहा कि भारत की विकास दर पर वैश्विक चुनौतियों का असर होगा। बावजूद इसके अपेक्षाकृत अधिक सुधारों की बदौलत भारत को दुनिया की सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिलेगी।...
More »भारत में विकसित नयी वैक्सीन की दुनियाभर में सराहना..
रोटावायरस डायरिया भारत सहित कई देशों में नवजात शिशुओं और बच्चों की मौत का एक प्रमुख कारण है. भारत में हर साल करीब नौ लाख बच्चों को इसके कारण अस्पतालों में भर्ती करना पड़ता है, जिनमें से 80 हजार से एक लाख बच्चों की मृत्यु हो जाती है. लेकिन, इससे बचाव की विदेशी दवाएं इतनी महंगी थीं कि हर किसी के लिए उसका सेवन करना आसान न था....
More »अब सरकारी बैंकों के निजीकरण का वक्त - डॉ भरत झुनझुनवाला
विजय माल्या पर 7,000 करोड़ की देनदारी है तो दूसरे बड़े उद्यमियों पर इससे लगभग नौ गुना यानी 60,000 करोड़ रुपए की देनदारी है। माल्या का कहना है कि इस रकम के खटाई में पड़ने में सरकारी बैंकों की भी भागीदारी है, क्योंकि उन्होंने यह जानते हुए लोन दिए थे कि कंपनी संकट में है। सच यह है कि सरकारी बैंकों के अधिकारियों के लिए घटिया लोन देना लाभ का...
More »गुड इकोनॉमिक्स बनाम बैड पॉलिटिक्स - प्रदीप सिंह
अपने देश में लड़कियों/महिलाओं के लिए समस्याएं जन्म के पहले से ही शुरू हो जाती हैं। मां के पेट में जीवित रह गईं तो पैदा होते ही परिवार में कमतरी का एहसास कराया जाता है। हर मामले में उन्हें लड़कों के पीछे खड़ा होना पड़ता है। यह एक ऐसा संघर्ष है जो ताउम्र चलता है। इन सबसे बच भी जाएं तो चूल्हे के धुएं की आग से बचना कठिन है।...
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