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खेती की सुध

प्रधानमंत्री बीमा योजना से निस्संदेह किसानों की दशा कुछ सुधरने की उम्मीद बनी है। जिस तरह पिछले कुछ सालों से फसल बर्बाद होने और कर्ज के बोझ तले दबे होने के कारण किसानों में खुदकुशी की प्रवृत्ति दिखाई देने लगी है, उसके मद्देनजर व्यावहारिक फसल बीमा की मांग हो रही थी। हालांकि फसल बीमा योजना पहले से लागू थी, पर उसमें कुछ तकनीकी गड़बड़ियां और व्यावहारिकता की कमी होने के...

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जलवायु संकट के सबक-- अरुण तिवारी

पिछले ग्यारह हजार तीन सौ सालों की तुलना में आज पृथ्वी सबसे गर्म है। उत्तरी ध्रुव के आर्कटिक सागर में इस बार 1970 के बाद सबसे कम बर्फ जमी है। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव से बाहर दुनिया का सबसे बड़ा बर्फ भंडार, तिब्बत में ही है। इसी नाते तिब्बत को ‘दुनिया की छत' कहा जाता है। इस नाते आप तिब्बत को दुनिया का तीसरा ध्रुव भी कह सकते हैं। यह...

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फ़सल बंपर, लेकिन किसान क्यों दे रहे जान?-- जुबैर अहमद

18 वर्षीय लवप्रीत सिंह का जीवन सामान्य तरीके से गुज़र रहा था. लेकिन पिछले महीने उनकी ज़िन्दगी में तब उथल-पुथल आई जब उनके पिता, 42 वर्षीय किसान बलविंदर सिंह, ने आत्महत्या कर ली. अमृतसर के निकट एक छोटे से गांव में अब वह अपनी मां और दादी के साथ रहते हैं और अकेली संतान होने के नाते परिवार की सारी ज़िम्मेदारियां उनके युवा कधों पर आ गई हैं. धान के दाम तेज़ी...

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तुम रिजेक्टेड हो, तुम किसान हो-- अजय शर्मा

वैसे भी तुम्हारी चीखें गांव के आसमान में खो जाने वाली हैं. हो सकता है कि लिखने से ये वहां तक पहुँच जाएं, जहां वो सुनने के बाद रिजेक्ट की जा सकें. मुझे याद है, बस यही ख्याल तब मेरे मन में थे. तेलंगाना में लिंगमपल्ली टांडा गांव के स्कूल में योगेंद्र यादव एक तरफ़ किसानों के दुख अपनी नोटबुक में दर्ज कर रहे थे. और उनसे कुछ दूर मैं इस बुज़ुर्ग...

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सिर्फ़ 1411 शेर बचे हैं, किसान अभी बहुत हैं!-- अजय शर्मा

तेलंगाना के महबूबनगर ज़िले के गांव गुरुराव लिंगमपल्ली में मेरी मुलाक़ात अंजम्मा से हुई. वो एक किसान की बेवा हैं. अंजम्मा के हाथ में 30 हज़ार रुपए के क़र्ज़ का पर्चा था, जिसे देख-देखकर उनका मन रोने को हो आता. शायद इस गांव में उनके आंसुओं के पीछे मौजूद दर्द समझने वाला कोई नहीं. आख़िर ये लिंगमपल्ली में किसी किसान की पहली मौत जो है. हालांकि लिंगमपल्ली में सूखा और क़र्ज़ सभी किसानों...

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