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क्या श्रमिकों का फैक्ट्रियों से खेतों में बड़ी संख्या में पलायन ‘विकास’ की गाड़ी का उल्टी दिशा में जाना है

-द वायर, 2018-19 में कुल रोजगार में कृषि की हिस्सेदारी 42.5 फीसदी से 2019-20 में नाटकीय ढंग से बढ़कर 45.6 फीसदी हो गई. कुल रोजगार में कृषि की भागीदारी में यह इजाफा भारतीय अर्थव्यवस्था के एक चिंताजनक पहलू को दिखाता है. यह बढ़ोतरी उद्योग या सेवा क्षेत्र से कृषि में श्रमिकों की एक असामान्य बड़ी गतिशीलता की संकेतक हो सकती है. वास्तविक रोजगार की स्थिति के लिए भिन्न-भिन्न मापकों- काफी सख्त से ज्यादा उदार...

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थकावट, सूंघने की क्षमता में कमी, फेफड़ों की दिक्कत- नई स्टडी में कोविड से लंबे समय तक रहने वाले 55 प्रभावों की हुई पहचान

-द प्रिंट, कोरोनावायरस पर मौजूदा अध्ययनों की समीक्षा करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 के बाद इसके 55 ऐसे प्रभाव होते हैं जो लंबे समय तक शारीरिक कष्ट का कारण बनते हैं. बीमारी से उबरे लोगों में थकावट महसूस होना एक प्रमुख लक्षण है. जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित होने वाले एक अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने करीब 18,251 पब्लिकेशन को खंगाला और इनमें से 15 अध्ययनों को अंतिम विश्लेषण के लिए...

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देश के 15 जिलों की जमीनी पड़ताल-7: दूसरी लहर में क्या था उत्तर प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ का हाल

-डाउन टू अर्थ, डाउन टू अर्थ ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देश के सबसे अधिक प्रभावित 15 जिलों की जमीनी पड़ताल की और लंबी रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट को अलग-अलग कड़ियों में प्रकाशित किया जा रहा है। पहली कड़ी में आपने पढ़ा कि कैसे 15 जिले के गांव दूसरी लहर की चपेट में आए। दूसरी लहर में आपने पढ़ा अरुणाचल प्रदेश के सबसे प्रभावित जिले का हाल। तीसरी...

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50 फीसदी बढ़ सकती हैं पानी में डूब कर मरने की घटनायें

-न्यूजलॉन्ड्री, क्या जलवायु परिवर्तन से प्रेरित एक्स्ट्रीम वेदर दुनिया में डूब कर होने वाली मौतों या घायल होने (ड्राउनिंग) की घटनाओं को बढ़ा रहा है. इस बात को पूरी तरह साबित करने के लिये अभी पुख्ता डाटा बेस उपलब्ध नहीं है लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि तार्किक आधार पर सोचा जाये तो इस ख़तरे से इनकार नहीं किया जा सकता. उधर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने अपनी एक रिपोर्ट में...

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तन मन जन: कोरोना ने प्राइवेट बनाम सरकारी व्यवस्था का अंतर तो समझा दिया है, पर आगे?

-जनपथ, कोरोना वायरस संक्रमण (कोविड-2019) की महामारी ने देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करके रख दिया है। इस संक्रमण के दौर में सरकारी और निजी स्वास्थ्य व्यवस्था की असलियत जनता के सामने आ गयी, साथ ही दोनों के बीच विरोधाभास की कलई भी खुल गयी है। कोरोना महामारी से जूझते हुए देश की सरकारी और निजी स्वास्थ्य व्यवस्था ने अपनी रंगत दिखा दी और अब यह साफ तौर...

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