दुनिया भर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए दो अभियान चलाए जा रहे हैं। एक तो है घंटी बजाओ, जिसका अर्थ है कि जिस भी घर से औरतों के रोने, चिल्लाने, पिटने की आवाज आ रही है, उनसे बचकर न निकलें। जाकर फौरन दरवाजे की कॉलबेल या घंटी बजाएं। और ऐसी हिंसा को रोकने के लिए कारगर कदम उठाएं। दूसरा अभियान है, औरतों के प्रति होते अपराध यथा छेड़खानी, पीछा...
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आत्महत्याएं कभी झूठ नहीं बोलतीं!- चंदन श्रीवास्तव
पुराने समय में ‘कागद की लेखी' और ‘आंखिन की देखी' के बीच अकसर एक झगड़ा रहता था. कागद की कोई लिखाई जिंदगी की सच्चाई से मेल ना खाये, तो फिर कबीर सरीखा कोई ‘मति का धीर' पोथी में समाये ज्ञान से इनकार भी कर देता था. यह अघट तो आधुनिक समय में घटा कि प्रत्यक्ष को मानुष पर और मानुष को आवेगों पर निर्भर मान कर शंका के काबिल मान...
More »किसान आत्महत्या का अधूरा सच- देविन्दर शर्मा
गुलाबी तस्वीर पेश करने की तमाम कोशिशों के बावजूद राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के किसान आत्महत्या संबंधी 2014 के आंकड़े कृषि के स्याह पक्ष को ही सामने लाते हैं। वर्ष 2014 में 12,360 किसानों की आत्महत्या का सीधा अर्थ है कि हर 42 मिनट में देश में एक किसान ने आत्महत्या की। हालांकि एनसीआरबी ने किसानों की आत्महत्या के आंकड़े को दो श्रेणियों-किसानों एवं कृषि मजदूरों, में बांटने का साहसिक...
More »ग्रीस मॉडल पर भारी हमारा एक छोटा-सा राज्य - सईद नकवी
हाल ही में एक अंग्रेजी अखबार में पहले पन्ने पर छपी एक तस्वीर ने मेरा ध्यान खींचा। उसमें अगरतला में एक इंटरनेट गेटवे के शुभारंभ अवसर पर केंद्रीय संचार एवं आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद को त्रिपुरा के कम्युनिस्ट मुख्यमंत्री माणिक सरकार के साथ गर्मजोशी से हाथ मिलाते दिखाया गया था। इस तस्वीर के साथ अखबार हमें सूचित कर रहा था कि अपराध-नियंत्रण के मामले में त्रिपुरा का रिकॉर्ड लाजवाब रहा...
More »समझें महिला सशक्तीकरण के सही मायने - क्षमा शर्मा
कुछ दिन पहले एक महिला वकील ने मुंबई में रात को शराब के नशे में गाड़ी सोते हुए लोगों पर चढ़ा दी थी। दो-तीन दिन पहले एक डिजाइनर ने एक चाय के ढाबे में शराब के नशे में ही गाड़ी दे मारी और दो रोज पूर्व गुड़गांव में ऐसा हुआ। कुछ लोग कह सकते हैं कि पुरुष तो सैकड़ों की संख्या में ऐसी दुर्घटनाएं करते हैं। दो-तीन महिलाओं ने ऐसा...
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