देश में किसानों की दयनीय हालत किसी से छिपी नहीं है और अब इसकी तसदीक राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के आंकड़ों से भी हो गई है। सर्वेक्षण के मुताबिक किसानों की मासिक आय 6,426 रुपये आंकी गई है, जबकि प्रत्येक किसान औसतन 47,000 रुपये का कर्जदार है। इनमें भी कृषि प्रधान बिहार की स्थिति और भी दयनीय है। यहां के किसानों की मासिक आय मात्र 3,558 रुपये है, जबकि पंजाब...
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झारखंड-- ठगे जा रहे हैं मनरेगा के मजदूर !
साल की शुरुआत में वित्त मंत्री ने कहा था कि एनडीए सरकार ने मनरेगा के तहत खर्च बढ़ाकर एक रिकार्ड उंचाई पर पहुंचा दिया है लेकिन राज्यों से मनरेगा की मजदूरी के भुगतान के बारे में आने वाली खबरें वित्तमंत्री के इस दावे को झुठलाती है. नया मामला झारखंड का है जहां हजारों नरेगा मजदूरों की बीते अप्रैल से जून महीने की मजदूरी का भुगतान फंड की कमी के कारण नहीं...
More »बाढ़ अब हर साल का किस्सा है-- दिनेश मिश्र
हाल के वर्षों तक बाढ़ को ग्रामीण समस्या के रूप में ही देखा जाता था और हमेशा बाढ़ से ग्रस्त रहने वाले इलाकों के लोगों, जो मुख्यत: किसान होते थे, की मान्यता थी कि बाढ़ आती है और चली जाती है। ऐसा विरले ही होता कि कभी ढाई दिन से ज्यादा टिकी हो। लेकिन हमारे बाढ़-नियंत्रण के प्रयासों ने अब गांवों की कौन कहे, शहरी क्षेत्रों को भी अपने में...
More »रूढ़ियों को तोड़ रहीं डिजिटल महिलाएं-- ओसामा मंजर
पिछले दिनों मेरी मुलाकात लिपिका से हुई। वह असम के सोनापुर की हैं। स्कूली शिक्षा के लिए उन्हें जद्दोजहद तो करनी ही पड़ी, कॉलेज में दाखिला लेने के लिए भी माता-पिता को खूब मनाना पड़ा। कुछ वर्षों पहले उनकी नजर सामुदायिक सूचना संसाधन केंद्र (सीआईआरसी) पर पड़ी। यह सीखने की उनकी ललक है कि आज वह उस केंद्र की कंप्यूटर प्रशिक्षक हैं। वह कहती हैं, मेरी मां ने बताया था...
More »राजस्थान में पेंशन योजना का सरकारी खेल !
राजस्थान में राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम(एनएसएपी) के तहत दिए जा रहे पेंशन के बारे में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. ये तथ्य हाल के एक सरकारी रिपोर्ट के निष्कर्षों को लेकर आशंका जगाते हैं. नागरिक संगठन सूचना एवं रोजगार अभियान(एसआर अभियान) के मुताबिक प्रदेश में एनएसएपी के तहत पेंशन के रुप में सहायता राशि पाने वाले 2.95 लाख लाभार्थियों के नाम सूची से हटा दिए गए हैं और उन्हें...
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