नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर ‘प्रक्रिया का ज्ञापन' केंद्र और प्रधान न्यायाधीश के परामर्श से तैयार किया जाये. उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारदर्शिता महत्वपूर्ण है और यह एमओपी में परिलक्षित होना चाहिए. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए दिशा निर्देश के रूप में एमओपी में साफ तौर पर न्यूनतम आयु इत्यादि...
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जजों की नियुक्ति : अपने-अपने तर्क
कॉलेजियम सिस्टम पर चल रही बहस के दो छोर हैं। एक का दावा है कि हमारे देश के सर्वशक्तिमान न्यायाधीशों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार कुछ न्यायाधीशों के पास केवल इसलिए रहना चाहिए, क्योंकि वे न्यायपालिका परिवार का हिस्सा होने के कारण उनके बारे में बेहतर समझ रखते हैं। दूसरा छोर कहता है कि उसमें आम जनता के नुमाइंदों की भी भागीदारी होनी चाहिए, क्योंकि न्यायाधीश केवल न्यायपालिका के...
More »भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्ती दिखाएं- शिवदान सिंह
भ्रष्टाचार निवारण कानून, 1988 के संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से राज्यसभा की प्रवर समिति को भेज दिया गया है। इस विधेयक के मुताबिक, रिश्वत देने वाला भी अपराधी माना जा सकता है तथा भ्रष्ट कर्मचारी की आय से अधिक अर्जित संपत्ति को विशेष जज की अनुमति से जब्त करने का प्रावधान है। कॉरपोरेट तथा व्यापारिक संस्थानों द्वारा दी गई रिश्वत को भी इसमें शामिल किया गया है। सेवानिवृत्त अधिकारी के...
More »आपदा राहत की उलझी कड़ियां-- शैलेन्द्र चौहान
भारत में लोगों को आपदा से बचाना या तत्काल राहत पहुंचाना किसकी जिम्मेदारी है? पिछले पांच दशक से सरकार भी इस यक्ष प्रश्न से जूझ रही है। दरअसल, आपदा प्रबंधन तंत्र की सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोगों को कुदरती कहर से बचाने की जिम्मेदारी कई महकमों पर है। जब लोग बाढ़ में डूब रहे होते हैं, भूकंप के मलबे में दब कर छटपटाते हैं या फिर ताकतवर तूफान...
More »अदालत बनाम हुकूमत की नौबत! - संतोष कुमार
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून को असंवैधानिक ठहराने के सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद से ही इस पर सरकार और न्यायपालिका के बीच ठनी हुई है। सर्वोच्च अदालत कॉलेजियम प्रणाली पर अडिग है, अलबत्ता उसने इसमें सुधार के लिए लोगों से सुझाव जरूर मांगे हैं। सरकार भी इस मत पर कायम है कि एनजेएसी को असंवैधानिक ठहराने का फैसला संसदीय संप्रभुता को झटका है। वर्ष 1788 में प्रकाशित 'फेडरलिस्ट...
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