एक अर्थशास्त्री से यह सुनना लगभग तय है कि अगर सरकार के हस्तक्षेप के लिए कुछ मुफ्त या रियायती दर पर उपलब्ध है, तो लोग ऐसे सामानों / वस्तुओं का अति प्रयोग या अधिक उपभोग करते हैं. तो, सबसे अच्छा समाधान इस तरह के 'लगभग मुफ्त में उपलब्ध' या 'अत्यधिक सब्सिडी वाले' सामान या वस्तुओं के लिए एक बाजार बनाना है. एक बार जब लोग ऐसे सामान/वस्तुओं के उपयोग या...
More »SEARCH RESULT
किसान आंदोलन: दायरा बढ़ाकर राष्ट्रीय मंच बनाने की जरूरत
-रूरल वॉइस, किसान नेता राकेश टिकैत ने कुछ महीने पहले कहा था कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो साल 2024 तक किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर धरने पर बैठने को तैयार हैं । टिकैत ने यह बयान तब दिया था जब किसान नेताओं औऱ सरकार के बीच लगातार बढ़ती तनातनी के बीच जनवरी के बाद से सरकार की तरफ से औपचारिक बातचीत भी बंद हो गई । लेकिन...
More »उत्तर प्रदेश के कोविड-19 संकट पर जारी आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट असलियत से परे है
-द वायर, आईआईटी कानपुर ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसका शीर्षक ‘कोविड संग्राम, यूपी मॉडल: नीति, युक्ति और परिणाम’ है. इस रिपोर्ट में कोविड-19 संकट से निपटने के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार की तारीफों की झड़ी लगाई गई है. 100 पन्नों से कुछ बड़ी यह रिपोर्ट अंग्रेजी व हिंदी में उपलब्ध है. यह रिपोर्ट मनिंद्र अग्रवाल द्वारा लिखी गई है जो महामारी से पहले ‘कॉम्पलेक्सिटी थ्योरी’ पर...
More »रबी सीजन के संकट के बाद डीएपी की घरेलू उत्पादन क्षमता बढ़ाने और दीर्घकालिक आयात सौदों की रणनीति
-रूरल वॉइस, चालू रबी सीजन में डाइ अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की उपलब्धता के संकट से सबक लेते हुए सरकार ने डीएपी की आपूर्ति को बेहतर करने के लिए देश में इसकी उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी और आयात सौदों की दीर्घकालिक रणनीति तैयार की है। वैश्विक बाजार में डीएपी और कॉम्प्लेक्स उर्वरकों व उनके कच्चे माल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के बीच चीन ने निर्यात पर प्रतिबंध लगातार...
More »हीरा ज़रूरी या जंगल: 55,000 करोड़ वाली हीरे की ख़दानों की पड़ताल
-बीबीसी, एक डरावना सा जंगल कैसा होता है, सिर्फ़ किताबों में पढ़ा था और डिस्कवरी चैनल पर ही देखा था. कहानियाँ भी सुनी थीं, उनकी- जिनकी ज़िंदगी में इस जंगल के सिवा कुछ नहीं होता. एक दोपहर सन्नाटे को चीरते हुए उस घने जंगल में सागौन के दरख़्तों से निकलकर थोड़ी रोशनी में पहुँचे तो फटे-पुराने कपड़े पहने हुए एक व्यक्ति को कुछ पत्तियाँ और टहनियाँ बीनते हुए पाया. पता चला वो भगवान दास...
More »