सूखे का संकट रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न उबरे, मोती मानुष चून॥ हिमांशु ठक्कर वर्षों पूर्व रहीम की वाणी ने जिस संकट के प्रति आगाह किया था, वह आज फिर यथार्थ के रूप में हमारे सामने है. कुछ माह पहले तक सूखे का जो संकट मराठवाड़ा और बुंदेलखंड जैसे कुछ इलाकों तक सीमित था, वह अब देश के दस से ज्यादा राज्यों में फैल चुका है. सूखे और...
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'दस साल में और बहुत सारी विधवाएं देखेंगे'- सौतिक बिस्वास
महाराष्ट्र के वाशीम ज़िले के एक गांव में रहने वाले किसान मुकुंदा वाघ ने 2009 में पहली बार कीटनाशक पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी. जब वो बेहोश होकर गिर गए और उनके मुंह से झाग निकलने लगा तो उनकी पत्नी ने उन्हें देखा और अस्पताल ले गईं. उस वक़्त अस्पताल में डॉक्टरों ने उनकी जान बचा ली. लेकिन तीन साल के बाद मई 2012 में क़िस्मत ने उनका साथ नहीं...
More »बजट 2016 : गांवों के कायाकल्प की कोशिश
भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक मंदी के साथ कृषि संकट का भारी दबाव है. ऐसी स्थिति में आम बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ग्रामीण विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर देकर सरकार की दूरदर्शिता और प्राथमिकता को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है. औद्योगिक उत्पादन और घरेलू मांग में बढ़ोतरी के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना बहुत जरूरी है. इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री ने...
More »बजट 2016-17: खेती को पानी मिले, किसानों को वाजिब दाम
हालांकि नई फसल बीमा योजना को प्रधानमंत्री ने "किसान की सारी मुसीबतों का समाधान" बताया है लेकिन लगातार दो दफे सूखे की चपेट में आई खेतिहर अर्थव्यवस्था की मौजूदा बदहाली नये बजट में फौरी तौर पर विशेष उपाय करने की मांग करती है.(देखें प्रधानमंत्री का भाषण) एक ऐसी स्थिति में जब कृषिगत सकल घरेलू उत्पाद में लगातार दो वित्तवर्षों (2014-15 में -2%, 2015-16 में 1.1%) में बड़ा मामूली इजाफा हुआ हो,...
More »बागवानी में दूसरे स्थान पर भारत
बीते कई वर्षों से देश में किसानों को मॉनसून के धोखे से रू-ब-रू होना पड़ रहा है. बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी. उनकी हिम्मत, मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि आज बागवानी के क्षेत्र में देश दुनिया में दूसरे स्थान पर है. स्थिति यह कि हमारे यहां लगातार तीसरे साल खाद्यान्न के मुकाबले फल व सब्जियों का उत्पादन बढ़ा है. पेश है एक रिपोर्ट... 2014-15 में लगातार तीसरे...
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