नई दिल्ली, 3 जनवरी। राजधानी दिल्ली को मौत के मुहाने पर धकेला जा रहा है। यहां कचरे से बिजली बनाने के संयंत्रों को स्थापित कर उन्हें चलाने की तैयारी जोरशोर से चल रही है। जबकि कचरा जलाने से जहरीले रसायन डाईआक्सिन के हवा में घुलने का खतरा है जो राजधानीवासियों को घातक बीमारियों की चपेट में ला देंगे। तमाम विरोधों के बावजूद कार्य प्रगति पर है। रेजीडेंट्स वेलफेयर एजंसियों ने इस...
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अनरियल एस्टेट- हिमांशु शेखर(तहलका)
उत्तर प्रदेश के बिजनौर के रहने वाले विकास चौहान जब करीब एक दशक पहले दिल्ली आए तो उनके कई सपनों में से एक यह भी था कि देश की राजधानी में उनका एक अपना आशियाना हो. नौकरी मिली और आमदनी बढ़ने लगी तो उन्होंने अपने इस सपने को पूरा करने की कोशिश शुरू कर दी. प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों की वजह से दिल्ली में तो कोई मकान उन्हें अपने बजट...
More »किसानों के हाथों से जाएगी दो लाख हेक्टेयर जमीन- ए जयजीत
भोपाल. प्रदेश सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात भले ही करे, लेकिन सच्चई यह है कि आने वाले समय में प्रदेश की दो लाख हेक्टेयर जमीन किसानों के हाथों से निकल सकती है। इसकी बड़ी वजह प्रोस्पेक्टिंग लीज (खनिज की पड़ताल के लिए लीज) और खनन पट्टों के लिए उद्योगों को दी गई मंजूरी है। मप्र ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट फेसिलिटेशन कारपोरेशन (ट्राइफेक) के आंकड़ों के अनुसार खजुराहो समिट...
More »खनन ने किया खोखला
शिमला। पर्यावरण प्रदेश की नींव है, लेकिन खनन के कारण यह खोखली होती जा रही है। प्रदेश सरकार ने अवैध खनन की रोकथाम के लिए समस्त उपायुक्त, अतिरिक्त उपायुक्त, समस्त उपमंडल मजिस्ट्रेट, उद्योग विभाग, वन विभाग, पुलिस, समेत आईपीएच तथा लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी और सहायक अभियंताओं को भी चालान करने के लिए प्राधिकृत कर दिया है। जब भी इन विभागों से बात की जाती है तो यह साल-छह महीने...
More »सीएसई का बारहवां मीडिया फैलोशिप- आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ायी गई
सेंटर फॉर साईंस एंड एन्वायर्न्मेंट (सीएसई) की पापिया समजदार से प्राप्त सूचना के अनुसार सीएसई के बारहवें मीडिया फैलोशिप- वाटरबॉडीज इन इंडिया: पब्लिक स्पेस, प्राइवेट डिजायन- में आवेदन करने की अंतिम तिथि बढाकर 31 मई,2011 कर दी गई है। इस सिलसिले में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए कृपया निम्नलिखित नंबर पर फोन या फैक्स करें- फोन: 011-29955124, 29955125, फैक्स: 011-29955879' 9811906977 ईमेल: उद्योग-धंधे, शहरीकरण, बढ़ती आबादी, आधे-अधूरे कानून-- जमीन ही नहीं जलाशयों पर भी इन सबका...
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