भारतीयों को विवाद-प्रिय माना जाता है और हमारी यह विवादप्रियता एक बार फिर से उठान पर है ! गरीबी-रेखा और गरीबों की तादाद के बारे में लंबे समय तक वाक्युद्ध में उलझे रहने के बाद, प्रसिद्ध अनिवासी भारतीय(एनआरआई) अर्थशास्त्रियों ने एक बार फिर से विवाद छेड़ा है कि भारत में कुपोषण का विस्तार कितना है। पहले योजना आयोग ने गरीबों की संख्या को कागजी तौर पर घटाने की कोशिश की...
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उत्तर भारत में कपास का रकबा 15 फीसदी घटने का अनुमान
चालू खरीफ सीजन में अभी तक 7.15 लाख हैक्टेयर में ही कपास की बुवाई मोह भंग - पिछले साल कपास की आवक के समय उत्पादक मंडियों में दाम घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे चले गए थे जबकि धान और ग्वार का अच्छा भाव मिला था। इसलिए किसानों की दिलचस्पी धान और ग्वार की खेती में ज्यादा है। राज्यों में बुवाई हरियाणा में कपास की बुवाई 1.50 लाख हैक्टेयर में पंजाब में हुई...
More »किसानों ने गेहूं बिक्री से खींचा हाथ
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। मूल्य बढ़ने की आस में किसानों ने गेहूं बिक्री से हाथ पीछे खींचना शुरू कर दिया है। इस वजह से गेहूं उत्पादक राज्यों की मंडियों में आवक लड़खड़ा गई है। व्यापारियों की प्रतिस्पर्धा में सरकारी एजेंसियों की खरीद पर भी असर पड़ रहा है। देश की प्रमुख अनाज मंडियों में गेहूं की आवक घट गई है। यह गिरावट सरकार के लिए चिंता का सबब भी हो...
More »गेहूं की सरकारी खरीद में 16 फीसदी की गिरावट
चालू रबी विपणन सीजन 2013-14 में गेहूं की सरकारी खरीद 16 फीसदी पिछड़कर 239.59 लाख टन की ही हो पाई है। प्रमुख उत्पादक राज्यों में गेहूं की दैनिक आवक कम हो गई है। ऐसे में सरकारी खरीद 250 लाख टन के आस-पास सिमटने की संभावना है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई ) के अनुसार चालू रबी विपणन सीजन 2013-14 में गेहूं की सरकारी खरीद अभी तक 239.59 लाख टन की ही हो...
More »मनरेगा का सकारात्मक असर स्कूली नामांकन और शिक्षा पर
एक हालिया अध्ययन के संकेत हैं कि आंध्रप्रदेश के ग्रामीण इलाके में मनरेगा कार्यक्रम का सकारात्मक असर स्कूल में बच्चों के नामांकन और उनकी शैक्षिक परिलब्धि पर पडा है। कारण कि रोजगार की सुरक्षा देने वाले इस कार्यक्रम से घर के भीतर महिलाओं की स्थिति आर्थिक रुप से मजबूत हुई है। यह अध्ययन आंध्रप्रदेश के पाँच जिलों के ग्रामीण-परिवार से जुड़े आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है। इसमें नमूने के...
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