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ऐसे संघर्ष का औचित्य क्या है- विनोद कुमार

जनसत्ता 15 जून, 2013: बूर्जुआ राजनीतिक दलों और पुलिस प्रशासन की नजर में उग्रवादी, आतंकवादी, नक्सली और माओवादी, सभी एक हैं। उनकी नजर में तो यथास्थितिवाद का विरोध करने वाला हर आदमी नक्सली है। लेकिन इन सब में फर्क है। सबों के राजनीतिक दर्शन और लक्ष्यों में अंतर है। मोटे रूप में कहा जाए तो देश में सक्रिय उग्रवादी और आतंकवादी संगठन देश का विखंडन चाहते हैं, अलग देश की...

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बारह सौ करोड़ से ज्यादा की लूट पर क्यों चुप हैं सुशासन बाबू नीतीश कुमार?

पटना। यह अजीब है कि बिहार में 1200 करोड़ से ज्यादा के हुए चावल घोटाले पर एनडीए सरकार के मुखिया नीतीश कुमार क्यों खामोश हैं? 900 करोड़ के पशुपालन घोटाले पर लालू प्रसाद की सरकार को जाना पड़ा था। सूचना के अधिकार के तहत मुहैया कागजातों के आधार पर यह बात स्थापित हो गयी है कि करोड़ों के चावल मिल मालिक, अधिकारी और लुटेरे चुग गये। भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस...

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पंचायत के रास्ते जन तक पहुंचा तंत्र

प्रदीप श्रीवास्तव, नई दिल्ली। तमाम दिक्कतों, सरकारी अवरोधों को गिनाने के साथ मणिशंकर अय्यर मानते हैं कि पंचायत राज व्यवस्था ने जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया से प्रशिक्षित लाखों लोगों की एक फौज खड़ी की है। खासकर इससे महिलाओं को आगे लाने में काफी कामयाबी मिली है। पंचायती राज के जरिए जनता देश में 38 लाख प्रतिनिधि चुनती है। इसमें 14 लाख महिलाएं होती हैं। अय्यर के मुताबिक, पिछले 20...

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'जट्ट' दी 'जून' बुरी: संसाधनों का मारा किसान बेचारा, किल्लत का करना पड़ा सामना

जालंधर. गंभीर समस्या आज से शुरू हो रही धान की बिजाई के लिए पंजाब को लेबर की जबरदस्त किल्लत का सामना है क्योंकि बिहार, यूपी आदि राज्यों में आर्थिक हालत बढिय़ा होने पर लोग वहीं काम करने को पहल देने लगे हैं। मशीन का फायदा नहीं सरकार समस्या से निपटने को किसानों को सब्सिडी पर पैडी ट्रांसप्लांटर मुहैया करा रही है। दो लाख से ऊपर पड़ती यह मशीन विकल्प...

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माओवाद को लेकर मतिभ्रम- विनोद कुमार

जनसत्ता 31 मई, 2013: झारखंड, छत्तीसगढ़ सहित देश के वनक्षेत्र वाले इलाकों में माओवादी गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं। हाल में झारखंड से सटे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की परिवर्तन रैली पर हमला कर माओवादियों ने तीन दर्जन लोगों को मार डाला। इस हमले में मारे जाने वाले कुछ सुरक्षाकर्मियों सहित कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता हैं। आजादी के साढ़े छह दशक बाद भी कांग्रेस और भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियां अगर ‘विकास...

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