हाल ही में जारी आर्थिक समीक्षा दो महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान खींचती है। एक यह कि कामकाजी महिलाओं की संख्या में गिरावट आई है। वर्ष 2005-06 में रोजगार में आ रही महिलाओं का प्रतिशत 36 था, जो कि कम होकर 2015-16 में 24 प्रतिशत रह गया है। दूसरा यह कि खेती, बागवानी, मत्स्य-पालन, सामाजिकी वानिकी में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका होने पर भी, उन्हें लंबे समय से उचित महत्त्व नहीं...
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अजन्मी बेटियों के बगैर-- पीयूष द्विवेदी
देश में विषम लिंगानुपात की समस्या और इस पर चर्चा, दोनों ही पुरानी हैं, मगर वर्तमान समय में जब शिक्षित हो रहे भारतीय समाज में लड़का-लड़की के बीच भेदभाव नहीं करने को लेकर सरकार से समाज तक की तरफ से प्रयास हो रहे हैं और माना जा रहा था कि स्थिति सुधर रही है, ऐसे समय में लिंगानुपात से संबंधित नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट हमें पुन: सोचने पर विवश...
More »आर्थिक आतंकियों को मिले सजा-- तरुण विजय
नीरव मोदी हों या मेहुल चौकसी, विजय माल्या हों या कोई और, एक ऐसे समय में जब देश किसान, मजदूर, महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की बात कर रहा है और सीमाओं पर हमारे सैनिक हर दिन खून की होली खेलते हुए मातृ-भूमि की रक्षा कर रहे हैं, उस समय देश से छल कर हजारों करोड़ के घोटाले करनेवाले वस्तुत: आर्थिक अपराधी नहीं, आर्थिक आतंकवादी हैं, जिन्हें वही सजा मिलनी चाहिए,...
More »टीबी से निजात पाने की चुनौती-- अरविन्द कुमार सिंह
यह बेहद चिंताजनक तथ्य है कि दुनिया भर में टीबी (तपेदिक) की राजधानी कहे जाने वाले भारत में इस वर्ष पंद्रह लाख से ज्यादा नए तपेदिकमरीजों की पहचान हुई है। यह खुलासा खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट से हुआ है, जिसमें कहा गया है कि 2017 में 1 जनवरी से लेकर 5 दिसंबर के बीच 15,18,008 मरीज मिले हैं। इनमें से 12,05,488 मरीजों की पहचान सरकारी अस्पतालों से हुई...
More »2011 से 2017 के बीच हुए कुछ बड़े बैंक घोटाले
साल 2011 -केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) ने बताया कि कुछ बैंक अफसरों ने 10 हज़ार संदिग्ध बैंक खाते खोले और उनमें लोन के 1500 करोड़ रुपए अंतरित कर लिए। ये अधिकारी आइडीबीआइ, बैंक आॅफ महाराष्ट्र और ओरिएंटल बैंक आॅफ कॉमर्स जैसे बैंकों के थे। साल 2014 -मुंबई पुलिस ने सार्वजनिक बैंकों के कुछ अधिकारियों के खिलाफ नौ प्राथमिकी दर्ज कीं। इन अफसरों पर 700 करोड़ रुपए के सावधि जमा में घपला करने का...
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