मुझे बैरकपुर के चुनाव क्षेत्र में रहते अब 20 दिन हो चुके हैं। श्यामनगर, जहां मैं रह रही हूं, वह गांव और छोटे शहर का एक मिला-जुला इलाका है। श्यामनगर का स्टेशन करीब है और यहां से कोलकाता तक जाने वाली लोकल ट्रेनों ने, जो कई दशकों से चल रही है, शहर और शहर से मिलने वाले रोजगार से यहां के लोगों को जोड़कर इलाके को नीम-ग्रामीण बना दिया है। मेरे घर...
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घोषणापत्रों में नजरंदाज होते किसान
चुनाव अभियान पूरे देश में जोर-शोर से जारी है, लेकिन इसमें न किसान कहीं दिख रहा है और न किसान की चिंता। जहां भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी कृषि और उससे जुड़े उद्योगों पर निर्भर है, वहां उस तबके की उपेक्षा हैरान करने वाली है। यह भी खबर आ रही है कि इस बार प्रमुख पार्टियों का ध्यान उन 250 सीटों पर ही है, जिनके बारे में माना जा...
More »चुनावी घोषणापत्रों में नजरंदाज होते बच्चे - क्षमा शर्मा
कई साल पहले दुनिया के बच्चों की स्थिति का आकलन करते हुए यूनिसेफ ने कहा था कि बच्चे वोट नहीं दे सकते, इसलिए कोई उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं देता। अब जब आम चुनाव सामने है, तो इसे अच्छी तरह समझा जा सकता है। सारे दल दलितों, महिलाओं, पिछड़ों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए लगभग हर रोज कुछ-न-कुछ कह रहे हैं, मगर वे बच्चों और किशोरों को भूल गए हैं।...
More »विश्व टीबी दिवस : 95 फीसदी टीबी विकासशील देशों में
दुनियाभर में प्रति वर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस का आयोजन किया जाता है. यह मौका एक बार फिर दुनिया का ध्यान एक ऐसी बीमारी की ओर ले जाने का है, जिससे मरनेवाले 95 फीसदी लोग विकासशील देशों से हैं. इस बीमारी से ग्रसित लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच नहीं होने के चलते अभी भी सालाना तीस लाख से ज्यादा लोगों को बचा पाना एक चुनौती बनी हुई...
More »यह खुशहाली का रास्ता नहीं है- सीताराम येचुरी
भारतीय उद्योग जगत के एक हिस्से ने तो जोश के सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिए हैं। उद्योग जगत का यह जोश दहशत पैदा करने वाले तरीके से याद दिलाता है कि किस तरह पूंजीपति वर्ग के एक हिस्से ने 1930 के दशक में जर्मनी में हिटलर के उभार में मदद की थी। आज जब साल 2008 की आर्थिक मंदी के बाद से विश्व पूंजीवाद का संकट लगातार बना हुआ है,...
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