देहरादून। प्रदेश के एपीएल उपभोक्ताओं को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से प्रतिमाह 35 किलो खाद्यान्न भी उपलब्ध नहीं हो रहा है। केंद्र से गेहूं व चावल का पर्याप्त कोटा नहीं मिलने से पिछले दो वर्ष से उत्तराखंड खाद्यान्न संकट का सामना कर रहा है। खाद्य मंत्रालय ने इस मामले में लगातार केंद्र से पत्राचार किया, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली निरंतर कमजोर हो रही है। सरकारी सस्ते गल्ले...
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खेतों में मिलेंगे हल - भवदीप कंग
ऐसे समय में जबकि खाद्य पदार्थो की कीमतें आसमान छू रही हैं और दुनिया में भुखमरी अपने पैर पसार रही है, जलवायु परिवर्तन से संबंधित विशेषज्ञ आगाह कर रहे हैं कि आने वाले वक्त में हमें और भी भयावह स्थिति का सामना करना पड़ेगा। दिनों-दिन बढ़ते वैश्विक तापमान की वजह से भारत की कृषि क्षमता में लगातार गिरावट आती जा रही है।एक अनुमान के मुताबिक इस क्षमता में 40 फीसदी तक की कमी हो सकती...
More »भुखमरी और कुपोषण के हालात बयान करते दो और रिपोर्ट
दो जून भर पेट भोजन ना जुटा पाने वालों की तादाद दुनिया में इस साल एक अरब २० लाख तक पहुंच गई है और ऐसा हुआ है विश्वव्यापी आर्थिक मंदी और वित्तीय संकट(२००७-०८) के साथ-साथ साल २००७-०८ में व्यापे आहार और ईंधन के विश्वव्यापी संकट के मिले जुले प्रभावों के कारण। यह खुलासा किया है संयुक्त राष्ट्र संघ की इकाई फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन की हालिया रिपोर्ट ने । द...
More »का बरसा जब कृषि सुखाने...
कहावत है कि का बरसा जब कृषि सुखाने और इस कहावत से सीख लेते हुए मानसून की पिछात बारिश में मारे खुशी के फूलकर कुप्पा होने से पहले यह सोचना जरुरी है कि आखिर नुकसान कितना हो चुका है। नुकसान हुआ है और भरपूर हुआ है। देश के खेतिहर इलाके के ६० फीसदी हिस्से पर, खासकर उत्तर-पश्चिमी हिस्से में, इस बार रबी की फसल नहीं काटी जा सकेगी और ये...
More »दुष्काल, अकाल, सूखा सबके जिम्मेवार हम ही
आने वाले 15 वर्षों में भारत के खाद्यान्न का कटोरा अर्थात पंजाब और हरियाणा सूखाग्रस्त हो जाएंगे। वहां की धरती में सिंचाई के लिए पानी नहीं रह जाएगा। केंद्रीय भूमिगत जल बोर्ड की 2007 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार 2025 में सिंचाई के लिए भूमिगत जल उपलब्धता ऋणात्मक हो जाएगी। उदाहरण के लिए पंजाब में जितना जल जमीन में समाता है उससे 45 प्रतिशत अधिक जल खींच लिया जाता...
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