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32 करोड़ की सरकारी व कृषि भूमि पर बन रही थी अवैध कॉलोनी

ग्वालियर। शहर में धड़ल्ले बन रही अवैध कॉलोनियों का रैकेट तोड़ने जिला प्रशासन ने बुधवार को तीन अलग-अलग जगहों पर कार्रवाई की। कुल 32 करोड़ (22 करोड़ की सरकारी और 10 करोड़ की कृषि भूमि) जमीन पर अवैध कॉलोनियां बनाई जा रही थीं, जिसे प्रशासन ने मुक्त कराया। कार्रवाई के दौरान पद्मपुर खेरिया पर तहसीलदार अनिल राघव ने फोन पर एक भू-माफिया का स्टिंग भी किया, जिसमें भू-माफिया ने तहसीलदार...

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कीमतें कम हों या ज्‍यादा नुकसान हमेशा किसान का-- अमित मोहन प्रसाद

हाल ही में अरहर की दाल की कीमतें 200 रुपए प्रति किलो तक जा पहुंचीं। उपभोक्‍ताओं के अलावा सरकार को भी नहीं समझ आया कि वे क्‍या करें। बहुत पुरानी बात नहीं है, जब प्‍याज की ऊंची कीमतों ने आम लोगों के आंसू निकाल दिए थे। इन दोनों ही मामलों में बिचौलियों और दुकानदारों ने जमकर मुनाफा कमाया। लेकिन‍ किसी ने सोचा कि किसानों को क्‍या फायदा मिला? दाल और...

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ताकि न आए 'नि:शब्द' होने की नौबत - गिरजाशंकर

प्रदेश के किसान अभी जिस बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं, उन्हें उस हाल में पहुंचाने के लिये सूखा ही जिम्मेदार नहीं। इसमें सरकारी तंत्र की नाकामियों की भी बड़ी भूमिका है। यह तथ्य हाल ही में उच्चाधिकारियों के गांव दौरे के उस अनुभव से जाहिर होता है, जिससे स्वयं मुख्यमंत्री रूबरू हुए। किसान इतने परेशान हैं कि लगभग हर दिन प्रदेश के किसी न किसी इलाके से किसानों...

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तुम रिजेक्टेड हो, तुम किसान हो-- अजय शर्मा

वैसे भी तुम्हारी चीखें गांव के आसमान में खो जाने वाली हैं. हो सकता है कि लिखने से ये वहां तक पहुँच जाएं, जहां वो सुनने के बाद रिजेक्ट की जा सकें. मुझे याद है, बस यही ख्याल तब मेरे मन में थे. तेलंगाना में लिंगमपल्ली टांडा गांव के स्कूल में योगेंद्र यादव एक तरफ़ किसानों के दुख अपनी नोटबुक में दर्ज कर रहे थे. और उनसे कुछ दूर मैं इस बुज़ुर्ग...

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डूब जाते हैं बनैनिया जैसे समृद्ध गांव और राजनीति उफ तक नहीं करती

महज पांच साल पहले कोसी नदी के किनारे एक खूबसूरत और समृद्ध गांव था बनैनिया. मिथिलांचल और कोसी के इलाकों को जोड़ने के लिए जब महासेतु बना, तो बनैनिया डूब गया. थोड़ी-सी प्रशासनिक सजगता इस गांव को बचा सकती थी. गुणानंद ठाकुर जैसे सांसद और मायानंद मिश्र जैसे बड़े साहित्यकार का यह गांव अब कोसी की धारा में समा गया है.  गांव के लोग 22 अलग-अलग गांवों में रहते हैं....

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