नई दिल्ली : डीजल कीमतों में बढोतरी, खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति और सब्सिडीयुक्त घरेलू एलपीजी की संख्या सीमित करने के फैसलों के विरोध में भाजपा और गैर भाजपा विपक्षी दलों सहित सरकार को समर्थन दे रही सपा और जद-एस ने भी 20 सितंबर को राष्ट्रव्यापी हडताल का आज ऐलान किया. राजग के कार्यकारी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि सरकार की नीतियों के खिलाफ 20 सितंबर...
More »SEARCH RESULT
मनरेगा के प्रति हो रहा है मोहभंग- लखन सालवी
भीलवाड़ा जिले में मनरेगा के तहत स्वीकृत हुए श्रेणी-4 के कार्य पूर्ण नहीं हो पाए हैं। 14,663 व्यक्तिगत कार्य स्वीकृत हुए थे जिनमें से केवल 5,825 पर ही कार्य पूर्ण हुए हैं। जून माह तक 39 प्रतिशत कार्यों के लिए मस्टररोल जारी हो पाए हैं। शेष अधरझूल में हैं। प्रशासन का कहना है कि मजदूर नहीं मिल रहे हैं। ये प्रशासन का अपनी नाकामयाबी को छिपाने के लिए दिया गया बयान है। काम पूरे नहीं हो पाने...
More »कड़वे बादाम : दिल्ली के बादाम उद्योग में मज़दूरों का शोषण
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दूर-दराज़ कोने में बसी हुई, शोर-ग़ुल और चहल-पहल भरी करावलनगर की बस्ती, अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमों का एक उभरता हुआ केन्द्र है, जहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर और उनके परिवारों को रोज़गार मिलता है। ये उद्यम किसी भी मानक से छोटे नहीं है। वैश्विक सम्बन्धों की जटिल श्रृंखला में बँधे ये उद्यम, सालभर चालू रहते हैं और हज़ारों मज़दूरों के रोज़गार का स्रोत हैं। कई करोड़...
More »करावलनगर की वॉकर फ़ैक्ट्रियों में मज़दूरों के हालात
उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में करावलनगर के औद्योगिक इलाके और उससे लगे क्षेत्र में वॉकर (छोटे बच्चों को चलने में मदद करने वाली साइकिल) और पालना बनाने वाली 14-15 छोटी-छोटी फ़ैक्ट्रियाँ हैं। ज़्यादातर फ़ैक्ट्रियों में 10-15 मज़दूर और कुछ में 30-40 मज़दूर काम करते हैं। ज़्यादातर फ़ैक्ट्रियाँ दलित बस्ती में हैं, कुछ करावलनगर गाँव, पंचाल विहार और दयालपुर में स्थित हैं। इनमें काम करने वाले ज़्यादातर मज़दूर झारखण्ड, बिहार और उत्तर प्रदेश से आये प्रवासी...
More »न पाठशाला, न स्वच्छ पानी, ये है मजदूरों की कहानी
राजेश छौंकर, नूंह : मई दिवस को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। अपनी मागों को लेकर आए दिन प्रदर्शन करते मजदूरों की स्थिति मेवात में अच्छी नहीं कही जा सकती। इनके लिए न स्वच्छ पानी की व्यवस्था है न ही इनके बच्चों के लिए पाठाशाला की। नहीं है शौचालय व पेयजल व्यवस्था मेवात में 90 फीसदी भट्ठों पर मजदूरों के लिए शौचालय आदि की व्यवस्था नहीं है। इससे महिलाओं को...
More »