2009 में जब विश्व आर्थिक मंदी की आग में जल रहा था और इसकी तपिश भारत में भी महसूस की जा रही थी, तब भारत ने तीन किस्तों में करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया था. हम सरकारी अनुदान हड़पने में किसानों और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को दोषी ठहराते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि उद्योग और व्यवसाय जगत इनसे कई...
More »SEARCH RESULT
तीन सियासतों के बीच में फंसा एक बुंदेलखंड
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिलों में फैला बुंदेलखंड एक क्षेत्र है। पूरा इलाका गरीबी, बेरोजगारी, पलायन, सूखा, अकाल जैसी समस्याओं से भी समान रूप से जूझ रहा है। लेकिन इस क्षेत्र को इन समस्याओं से मुक्ति देने की कोशिश करने के बजाय सियासी सूरमा अपनी-अपनी सियासत चमकाने में लगे हैं। सियासत भी एक तरफा नहीं बल्कि तीन तरफा। यकीन नहीं तो उत्तर प्रदेश के...
More »मुद्दे नहीं, स्थानीयता व व्यक्तित्व हावी
रांची। पिछले विधानसभा चुनाव के समय 2005 में जो भाजपा राज्य की सभी 81 सीटों में से 30 और जदयू के साथ कुल मिलाकर 36 सीटें पाकर सबसे बड़े दल और गठबंधन के रूप में उभरी थी, वह इस दिसंबर के चुनाव में स्वयं 20 एवं सहयोगी जदयू 2 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। झामुमो उस बार 17 सीटें लेकर आया था, इस बार एक बढ़त पाते हुए 18 तक जा पहुंचा।...
More »विदर्भ- राहत पैकेज के चार साल बनाम ४८ घंटे में पांच आत्महत्याएं
अगस्त महीने के आखिरी दो दिनों के अंदर महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में पांच किसानों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या करने वाले किसानों उन्हीं जिलों के हैं जिनके लिए विशेष राहत पैकेज की घोषणा की गई थी। विदर्भ जनआंदोलन सिमिति द्वारा जारी एक प्रेस नोट के अनुसार विदर्भ में अगस्त महीने के आखिरी ४८ घंटों में सूखे की स्थिति में फसल के मारे जाने से परेशान पांच किसानों ने आत्महत्या...
More »भूख से हारी जिंदगी और नाम अन्नदाता
82000 करोड़ रुपये खर्च किये जाने के बाद भी विदर्भ में इस साल अब तक 117 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. प्रधानमंत्री द्वारा दी गई इतनी बड़ी राहत राशि आखिर क्यों अपना असर नहीं दिखा पा रही है, जानने का प्रयास कर रही हैं रोहिणी । तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है जिस तरह की आंकड़ेबाजियां पिछले कुछ सालों में विदर्भ...
More »