जनसत्ता 12 जुलाई, 2012: गंगा का नाम लेने मात्र से पवित्रता का बोध होता है। यह देश की एकता और अखंडता का माध्यम और भारत की जीवन रेखा के अतिरिक्त और बहुत कुछ है। गंगा जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी दोनों है। आज भी लगभग तीस करोड़ लोगों की जीविका का माध्यम है। मगर पिछली डेढ़ सदी से गंगा पर हमले पर हमले किए जा रहे हैं और हमें जरा भी अपराध-बोध नहीं...
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शुद्ध पेयजल के लिए 400 करोड़ : प्रेम
भागलपुर : तीन साल के अंदर शहर के सभी घरों को शुद्ध पेयजल मिलने लगेगा. प्रक्रिया अंतिम चरण में है. अब ग्राउंड वाटर का दोहन नहीं होगा. ‘सरफेस वाटर यूटीलाइजेशन’ योजना के तहत भागलपुर में 400 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. उक्त बातें नगर विकास एवं आवास मंत्री प्रेम कुमार ने कही. वे बुधवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने बताया कि जिन-जिन शहरों से होकर गंगा नदी गुजरती है, वहां...
More »प्रदूषित गंगा किनारे स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की अनूठी पहल
वाराणसी. गंगा की निर्मलता व अविरलता के लिएचलाएजा रहे आंदोलन के बीच वाराणसी के दशाश्वमेघ घाट पर श्रद्धालुओं को नि:शुल्क स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए अनूठी पहल की गई है। इसके तहत वाराणसी के धर्मनिष्ठ प्रमुख कपड़ा व्यवसायी केशव जालान ने अपने व्यवसायी मित्र मनविंदर सिंह बग्गा के सहयोग से घाट के ऊपर ही एक आरओ प्लांट स्थापित कर दिया है। इसके सहारे श्रद्धालु अब गंगा का पानी बिना...
More »सामने आयी बोतल बंद पानी की चौंकाने वाली सच्चाई!
बोकारो. चास और बोकारो शहर में इन दिनों पानी का गोरखधंधा जमकर चल रहा है। चास शहर के लगभग सभी मुहल्लों में निकलने वाले खारा पानी से परेशान लोगों का झुकाव फ्रेश पानी की ओर बढ़ रहा है। इसका फायदा पानी बेचने वाले उठा रहे हैं। फ्रेश पानी के नाम पर बोरिंग का पानी बोतलों और जार में भरकर लोगों के घरों में महंगे दाम पर पहुंचा जा रहा है। यह पानी लोगों को...
More »न पाठशाला, न स्वच्छ पानी, ये है मजदूरों की कहानी
राजेश छौंकर, नूंह : मई दिवस को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। अपनी मागों को लेकर आए दिन प्रदर्शन करते मजदूरों की स्थिति मेवात में अच्छी नहीं कही जा सकती। इनके लिए न स्वच्छ पानी की व्यवस्था है न ही इनके बच्चों के लिए पाठाशाला की। नहीं है शौचालय व पेयजल व्यवस्था मेवात में 90 फीसदी भट्ठों पर मजदूरों के लिए शौचालय आदि की व्यवस्था नहीं है। इससे महिलाओं को...
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